भर्तृहरि की गुफाएं | मध्य प्रदेश
भर्तृहरि की गुफा
भर्तृहरि की गुफा,उज्जैन(Bhartrihari Caves ujjain :- भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन जिले में (भृतहरि)भर्तृहरि की गुफा स्थित है(भृतहरि)भर्तृहरि की गुफाएं श्री महाकाल नगरी उज्जैन जिले में शिप्रा नदी (क्षिप्रा नदी) के तट पर स्थित है।प्रसिद्ध सम्राट भर्तृहरि (भृतहरि) के नाम पर इस गुफा का नाम रखा गया है।इस गुफा को राजा भरथरी(भरधरी) की गुफा के नाम से भी जाना जाता है,जो मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन जिले में है।इस स्थान पर महाराजा भर्तृहरि सम्राट की समाधि है।
राजा भर्तृहरि परम तपस्वी थे और उन्होंने इस गुफा में 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी।इसलिए उज्जैन में इस स्थान को भर्तृहरि की तप: स्थली कहा जाता है। भरथरी की गुफाएं या भर्तृहरि की गुफाएं उज्जैन शहर का एकमात्र प्रमुख धार्मिक एवं दार्शनिक स्थल है।11वीं शताब्दी में परमार वंश के शासकों द्वारा राजा (भृतहरि)भर्तृहरि या भरथरी(भरधरी) के सम्मान में इन गुफाओं का निर्माण किया गया था,और 11वीं शताब्दी में ही यह गुफाएं उज्जैन नगर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक बन चुकी थी।
भर्तृहरि की गुफा
भर्तृहरि की गुफा,उज्जैन(Bhartrihari Caves ujjain :- भर्तृहरि की गुफा मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन जिले में है। यह गुफा उज्जैन जिले या शहर में शिप्रा(क्षिप्रा) नदी के तट पर स्थित एक लोकप्रिय धार्मिक एवं दार्शनिक स्थल है।यह गुफा पत्थर या शीला के खंभों पर बनी हुई है।इन गुफा में कई कमरे स्थित है,और इन कमरों में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां स्थापित है। गुफा में एक मंदिर भी बना हुआ है और यह मंदिर नाथ समुदाय के भक्तों या साधुओं का पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। (भृतहरि)भर्तृहरि गुफाएं गोरखनाथ मठ के द्वारा प्रबंधित की जाती है,और उन्हीं के अधिकार क्षेत्र में है। यह गुफा नाथ संप्रदाय के भक्तों एवं साधुओं का पवित्र साधना स्थल माना जाता है।यहा पर 2 गुफाएं है।
गुफा क्रमांक - 1 - भर्तृहरि की गुफा
गुफा क्रमांक -1 योगीराज भरथरी या(भृतहरि)
भर्तृहरि की गुफा है।भर्तृहरि की गुफा भूमिगत है इस गुफा में जाने का रास्ता बहुत शक करा है,और नीचे की ओर जाने के लिए सीढ़ियां बनाई गई है।गुफा के अंदर एक बड़ा हॉल है,और यहां पर भगवान शिव का शिवलिंग भी है।(भृतहरि)भर्तृहरि की गुफा महाकाल
मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह गुफा गढ़कालिका मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
इस गुफा के पास ही महायोगी मत्स्येंद्रनाथ जी का मंदिर भी स्थित है। गुफा के अंदर तीन और गुफाएं है, जिनमें से एक गुफा में भर्तृहरि साधना करते थे,और इस गुफा में उनकी प्रतिमा या मूर्ति भी स्थित है,इस प्रतिमा के सामने एक धूनी जलती रहती है और जिसकी राख हमेशा गर्म रहती है। इसी गुफा में भर्तृहरि जी ने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी।राजा भर्तृहरि की गुफा के संबंध में ऐसा उल्लेख है कि ढाई हजार वर्ष पहले उज्जैन के राजा भर्तृहरि, गुरु गोरखनाथ जी के संपर्क में आने के बाद वैराग्य धारण कर लिया और कठोर तपस्या करने के लिए चले गए जिसके बाद राजा भर्तृहरि ने इसी गुफा में लगभग 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। ऐसा माना जाता है कि भर्तृहरि की 12 वर्षों की कठोर तपस्या से भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए थे और विष्णु जी ने भर्तृहरि जी को दर्शन भी दिए थे।राजा भर्तृहरि की 12 वर्षों की कठोर तपस्या से देवराज इंद्र भी भयभीत हो गए थे और उन्हें ऐसा लगने लगा था कि कहीं ऋषि भर्तृहरि तपस्या के बल पर भगवान शंकर से वरदान लेकर स्वर्ग पर आक्रमण ना कर दे इसलिए भगवान इंद्र ने गुफा में तपस्या में लीन भर्तृहरि जी पर एक विशाल पत्थर या शीला से प्रहार कर दिया था। लेकिन भर्तृहरि जी ने उस पत्थर को एक हाथ से ही रोक लिया और उसी स्थिति में ही कई वर्षों तक तपस्या में बैठे रहे कई वर्षों तक उस विशाल पत्थर को हाथ के सहारे से रोकने के कारण उस पत्थर पर भर्तृहरि के हाथों के पंजे का निशान बन गया जो आज वर्तमान में भी देखा जा सकता है।
गुफा के अंदर एक और छोटी दूसरी गुफा भी है इस गुफा में एक सुरंग है। इस गुफा में स्थित सुरंग के विषय में ऐसा माना जाता है कि यहां से चारों धाम जाने का रास्ता है।इस रास्ते से चारों धाम के दर्शन किए जा सकते हैं।राजा भर्तृहरि इसी रास्ते से काशी,बद्रीनाथ आदि धामों में जाया करते थे।इसी गुफा में एक और छोटी तीसरी गुफा भी स्थित है इस तीसरी गुफा में भगवान शिव का शिवलिंग स्थित है।
गुफा क्रमांक - 2 गोपीचंद की गुफा
गुफा क्रमांक -2- गोपीचंद की गुफा के नाम से जानी जाती है।यह एक छोटी गुफा है। गोपीचंद की गुफा भर्तृहरि की गुफा के दक्षिण दिशा में स्थित है ।गोपीचंद महाराजा भर्तृहरि जी का भतीजा था।इस गुफा की छत भी बड़े-बड़े पत्थरों के सहारे टिकी हुई है।
इस गुफा के अंदर एक विशाल शिवलिंग स्थित है। इस शिवलिंग को नीलकंठेश्वर शिवलिंग के नाम से भी जाना जाता है।
(भृतहरि)भर्तृहरि जी ने प्रमुख प्रमुख ग्रंथों की रचना की
(भृतहरि)भर्तृहरि जी ने निम्नलिखित प्रमुख प्रमुख ग्रंथों की रचना की ।यह योगीराज भर्तृहरि जी के प्रमुख ग्रंथ है।
- शतकत्रय या सुभाषितात्रिशती (नीतिशतक, शृंगारशतक, वैराग्यशतक)
- वाक्यपदीयम (3 कांड).
- वाक्यपदीय टीका (1 और 2 कांड)
- महाभाष्यदीपिका (महाभाष्य टीका)
- वेदांतसूत्रवृत्ति
- शब्दधातुसमीक्षा
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निष्कर्ष
मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन जिले में (भृतहरि)भर्तृहरि की गुफा शिप्रा(क्षिप्रा) नदी के तट पर स्थित है।
- कालिकाजी के पास उत्तर दिशा में कुछ ही दूरी पर श्री भर्तृहरि की गुफा है।
- इस गुफा को भरधरी की गुफा के नाम से भी जाना जाता है।
- ये भर्तृहरि की गुफाएं महाकाल मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर और गढ़कालिका मंदिर से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- यहां पर 2 गुफाएं हैं। पहली गुफा भर्तृहरि जी की है और दूसरी गोपीचंद जी की है।
- गुफा क्रमांक -1- भर्तृहरि की गुफा है और गुफा क्रमांक - 2- गोपीचंद जी की गुफा है।
- भर्तृहरि जी संस्कृत-साहित्य के प्रकांड पंडित थे।
- भरथरी की गुफा या भर्तृहरि की गुफाएं उज्जैन शहर का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है।
- भर्तृहरि जी के गुरु श्री गुरु गोरखनाथ जी थे।