मध्य प्रदेश की नदी | तमसा नदी
तमसा नदी (Tamsa River), को टोंस नदी (Tons River) के नाम से भी जाना जाता है।तमसा मध्य प्रदेश राज्य में सतना जिले में स्थित है।(टोंस नदी) तमसा नदी भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य और उत्तर प्रदेश राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है।(टोंस नदी) तमसा नदी की कुल लंबाई 320 किमी है।तमसा,गंगा नदी की एक सहायक नदी है।(Tamsa Nadi) तमसा नदी मध्य प्रदेश राज्य में कैमूर पर्वत श्रेणी (पर्वतमाला) में स्थित तमसा कुण्ड जलाशय से निकलती है या उत्पन्न होती है। सरल शब्दों में यह कह सकते हैं कि तमसा का उद्गम स्थल
(स्थान) कैमूर पर्वतश्रेणी है।
तमसा नदी का इतिहास के अंतर्गत हम यह जान पाएंगे कि तमसा नदी( टोंस नदी) की एक जल धारा का उद्गम स्थान मध्य प्रदेश राज्य के कैमूर पर्वत श्रेणी में स्थित है,और तमसा नदी की एक अन्य दूसरी जलधारा का उद्गम स्थान उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में ‘हर की दून’ घाटी में भी स्थित है।
तमसा नदी के इतिहास के अंतर्गत हम निम्न जानकारियां प्राप्त करेंगे जैसे
- तमसा नदी का इतिहास।
- तमसा नदी का उद्गम स्थान स्थल।
- तमसा नदी की कुल लंबाई।
- तमसा नदी की सहायक नदियां।
- तमसा नदी के अन्य नाम।
- तमसा नदी पर बने हुए बांध या परियोजना।
- तमसा नदी या टोंस नदी पर बने हुए जलप्रपात।
- तमसा नदी या टोंस नदी का अपवाह क्षेत्र या बेसिन।
- तमसा नदी का मुहाना।
- तमसा नदी कहां से निकलती है।
- तमसा नदी कहां पर स्थित है।
- तमसा नदी किस जिले में है।
- तमसा नदी किस राज्य में है।
- तमसा नदी कहां से कहां तक है।
- अयोध्या से तमसा नदी की दूरी।
- तमसा नदी अकबरपुर।
- तमसा नदी आजमगढ़।
- तमसा नदी वाल्मीकि आश्रम।
- तमसा नदी या टोंस नदी का धार्मिक और पौराणिक महत्व।
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तमसा नदी का इतिहास या टोंस नदी का इतिहास
तमसा नदी (टोंस नदी) (Tamsa River) की एक जल धारा मध्य प्रदेश राज्य में कैमूर पर्वतश्रेणी या पर्वतमाला (कैमूर की पहाड़ी) से निकलती है, तमसा नदी का मूल उद्गम स्त्रोत तमसा कुंड है।तमसा नदी की यह धारा उत्तर- प्रदेश में गंगा नदी से मिलती है।तमसा नदी जिसे टोंस नदी के नाम से भी जाना जाता है यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य और उत्तर प्रदेश राज्य में बहने वाली एक प्रमूख नदी है।तमसा "गंगा नदी" की एक सहायक नदी है। तमसा नदी मध्य प्रदेश राज्य में कैमूर पर्वतमाला में स्थित तमसा कुण्ड नाम के जलाशय से उत्पन्न होती है या निकलती है। अन्य शब्दों में यह कह सकते हैं कि तमसा नदी का उद्गम स्थान मध्य प्रदेश राज्य में कैमूर पर्वतमाला (कैमूर की पहाड़ी) में स्थित तमसा कुंड जलाशय।
- यह नदी उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवाहित / बहती होती है।
- यह नदी गंगा नदी की एक सहायक नदी है।
- यह नदी या टोंस नदी मध्य प्रदेश राज्य और उत्तर प्रदेश राज्य से होकर बहती है।
- यह नदी मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले के बाद रीवा जिले में प्रवेश करती है ।
- यह नदी रीवा पठार में एक महत्वपूर्ण धारा है।
- यह नदी मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले से भी बहती है।
- यह नदी मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले में कैमूर पहाड़ीयों के बीच संकरी घाटीयों में बहती है ।
- तमसा नदी पर स्थित कस्बे और गाँव इस प्रकार हैं- तेनथार, पथरहता, चेरुइया, पिपराओं, मालपार, चकघाट, मेजा, मैहर और आजमगढ़।
- उत्तर-पूर्वी दिशा में लगभग 64 किलोमीटर की पहाड़ी यात्रा के बाद यह नदी मैदानी भाग में प्रवेश करके बेलन नदी से मिलती है।
- उत्तर प्रदेश में प्रयागराज से 32 किलोमीटर दूर ही मेजा तहसील सिरसा के निकट यह नदी गंगा नदी में मिल जाती है।
- सिरसा टोंस नदी तट पर स्थित है।
- मऊनाथ भंजन तमसा नदी (टोंस नदी) के किनारे बसा है।
- यह नदी मऊ के उत्तर से निकलती है।
- यह नदी पहले सीतामढ़ी के निकट से बहती थी। जहा पर वाल्मिकी आश्रम है। वही पर सीता जी का समाहित स्थल भी है।
- वर्तमान में यह तमसा नदी अम्बेडकर नगर से निकलकर आज़मगढ़, मऊनाथ भंजन (मऊ) होते हुए बलिया जिले में गंगा में मिलती है।
- तमसा का उद्गम सतना जिले की कैमूर पहाड़ी से होता है।
- टोंस नदी सिरसा उत्तर प्रदेश में गंगा नदी में मिल कर समाप्त हो जाती है।
- बिहड़ नदी और बैलन नदी तमसा नदी की सहायक नदियां है।
- टोंस नदी का उल्लेख रामायण में मिलता है, जो अयोध्या के निकट बहती थी।
- आजमगढ़ में यह नदी जनपद के मध्यभाग से पश्चिम से पूरब की ओर से प्रवाहित होती है।
- सिरसा टोंस नदी तट पर स्थित है। मऊनाथ भंजन तमसा नदी (टोंस नदी) के किनारे बसा है। तमसा नदी मऊ के उत्तर से निकलती है|यह पहले सीतामढ़ी के निकट से बहती थी।
तमसा नदी या टोंस नदी का उद्गम स्थान
तमसा नदी( टोंस नदी) का उद्गम मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले की मैहर तहसील के कैमूर पर्वतमाला (कैमूर की पहाड़ी)में स्थित तमसाकुण्ड नाम के जलाशय से उत्पन्न होती है।अन्य शब्दों में यह कह सकते हैं कि तमसा या टोंस नदी का उद्गम स्थान मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिले के मैहर की कैमूर पर्वतश्रेणी या पर्वतमाला (कैमूर की पहाड़ी)) में स्थित तमसाकुण्ड नाम के जलाशय में है।
तमसा नदी या टोंस नदी कैमूर पर्वतमाला या कैमूर की पहाड़ी से कितनी ऊंचाई पर से निकलती है।
तमसा या टोंस नदी कैमूर पर्वत माला या कैमूर की पहाड़ी से 610 मी॰ (2,000 फीट) की ऊंचाई से निकलती है।
तमसा नदी या टोंस नदी की कुल लंबाई
तमसा नदी या टोंस नदी की कुल लंबाई 320 किमी है।
मध्य प्रदेश राज्य में इस नदी की लंबाई 246 किलोमीटर है।
तमसा नदी या टोंस नदी का अन्य नाम
तमसा नदी( टोंस नदी) का अन्य नाम या उपनाम हैं।
- टोंस नदी,
- सतना नदी,
- तोआन नदी,
तमसा नदी या टोंस नदी कौन सी नदी की सहायक नदी है
तमसा नदी( टोंस नदी) "गंगा नदी " की सहायक नदी है।
तमसा नदी या टोंस नदी की सहायक नदियां
(टोंस नदी)तमसा नदी की सहायक नदियां है।
- बेलन नदी
- बबई नदी
- बीहड़ नदी
- बेलाज नदी
- महाना नदी
- सतना नदी
- अशरवाल नदी,
- सेलर नदी
- ओड्डा नदी
तमसा नदी मध्य प्रदेश राज्य के कौन-कौन से जिलों में बहती है
तमसा मध्य प्रदेश राज्य के निम्नलिखित जिलों में बहती है
- सतना जिला
- रीवा जिला
तमसा नदी उत्तर प्रदेश राज्य के कौन-कौन से जिलों में बहती है
यह नदी उत्तर प्रदेश राज्य के निम्नलिखित जिलों में बहती है।
- बाराबंकी जिला।
- आजमगढ़ जिला।
- बलिया जिला ।
- प्रयागराज जिला।
तमसा नदी के किनारे बसे हुए गांव एवं कस्बे
तमसा के किनारे निम्नलिखित गांव या कस्बे हुए हैं
- मैहर
- त्योंथर
- पथरहटा
- चरूइया
- पिपराओं
- मलपर
- चाकघाट
- मेजा
गंगा अपवाह तंत्र में टोंस नदी तंत्र (नदी उपतंत्र)
गंगा अपवाह तंत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे बड़ा नदी अपवाह तंत्र है । गंगा अपवाह तंत्र भारत के मध्यप्रदेश राज्य में तीन उपतंत्र में विभाजित है। जिसमें टोंस नदी तंत्र एक महत्वपूर्ण नदी अपवाह उपतंत्र है ।टोंस नदी तंत्र के अंतर्गत बीहड़ नदी,ओदा नदी,महान नदी आदि नदियां सम्मिलित है। गंगा अपवाह तंत्र भारत के मध्य प्रदेश राज्य में तीन उपतंत्र में विभाजित है, जो निम्न अनुसार हैं ।
- यमुना नदी तंत्र
- टोंस नदी तंत्र
- सोन नदी तंत्र
- यमुना नदी तंत्र –चम्बल नदी,सिंध नदी,बेतवा नदी,धसान नदी,केन नदी आदि प्रमुख नदियाँ यमुना नदी तंत्र के अंतर्गत आती हैं।
- टोंस नदी तंत्र – बीहड़ नदी,ओदा नदी,महान नदी आदि प्रमुख नदियां टोंस नदी तंत्र के अंतर्गत आती हैं।
- सोन नदी तंत्र – जोहिला नदी,बनास नदी,गोपद नदी,रिहंद नदी आदि प्रमुख नदियां सोन नदी तंत्र के अंतर्गत आती हैं ।
तमसा नदी पर बने हुए झरने या जलप्रपात -तमसा नदी पर बने जलप्रपात
तमसा नदी पर बने जलप्रपात- झरने निम्नलिखित हैं:-तमसा नदी पर बने हुए झरने या जलप्रपात
- पुरवा जलप्रपात।
- चाचाई जलप्रपात।
- केवटी जलप्रपात या क्योटी जलप्रपात।
- बहूटी जलप्रपात।
- ओड्डा जलप्रपात।
- बिहार जलप्रपात।
पुरवा जलप्रपात
पुरवा जलप्रपात 70 मी. ऊँचा है और मध्य प्रदेश के रीवा(सिमरिया) क्षेत्र में स्थित है। यह एक प्रसिद्ध झरना है और पूरे जिले में सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है। यह सारा क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होने के कारण सालभर पर्यटक और स्थानीय लोग यहाँ आते रहते हैं।पुरवा जलप्रपात के रीवा के पठार से उत्तर दिशा में नीचे की ओर गिरने के कारण इस झरने के लिए पानी का मुख्य स्रोत टोंस नदी है।पुरवा जलप्रपात टोंस नदी पर स्थित है।रीवा पठार से बहते हुए तमसा नदी और उसकी सहायक नदियाँ कई जलप्रपात बनाती हैं। तमसा नदी रीवा पठार से बहते हुए पुरवा जलप्रपात बनाती है। यहाँ यह नदी उत्तर की ओर बहती है और 70 मीटर (पुरवा जलप्रपात) का एक उर्ध्वाधर जलप्रपात बनाती है।
चाचाई जलप्रपात
चचाई जलप्रपात 130 मीटर की ऊंचाई से शुरू होता है और चचाई जलप्रपात बीहड़ नदी के द्वारा निर्मित किया जाता है, जो तमसा नदी की एक सहायक नदी है।चचाई जलप्रपात रीवा ,मध्य प्रदेश से उत्तर दिशा में 42 किलोमीटर की दूरी पर सिरमौर तहसील में स्थित है। चचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे ऊँचा झरना हैं और भारत में सबसे अधिक एकल-बूंद वाले झरनों में गिना जाता है। चचाई जलप्रपात बीहड़ नदी पर स्थित है। चचाई जलप्रपात की ऊंचाई 130 मीटर हैं जो 115 मीटर गहरा एवं 175 मीटर चौड़ा है।
- चचाई जल प्रपात बीहड़ नदी द्वारा निर्मित होता है।
- चचाई जल प्रपात जलप्रपात बीहड़ नदी पर स्थित है
- चचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश राज्य में बीहड़ नदी पर स्थित है
- चचाई जल प्रपात एक खूबसूरत एवं आकर्षक जलप्रपात है।
- बीहड़ नदी के एक मनोरम घाटी में गिरने से चचाई जलप्रपात है ।
- चचाई जलप्रपात एक प्राकृतिक एवं गोलाकार जलप्रपात है।
- चचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश का दूसरा सबसे ऊँचा झरना हैं।
- चचाई जलप्रपात मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात है ।
- भारत में सबसे अधिक एकल-बूंद वाले झरनों में गिना जाता हैं।
- चचाई जलप्रपात प्रपात को “भारत का नियाग्रा” भी कहा जाता है।
- चचाई जलप्रपात एक सुन्दरतम ,खूबसूरत भौतिक आकर्षक प्राकृतिक एवं गोलाकार जलप्रपात है।
- चचाई ग्राम के निकट इस जलप्रपात के स्थित होने के कारण ही इसका नाम ‘चचाई जलप्रपात’पड़ा है।
- चचाई जलप्रपात के ऊपर एक जलाशय का निर्माण करके 315 मेगावाट जलविद्युत का उत्पादन ‘टोन्स हाइडल प्रोजेक्ट’ के माध्यम से किया जा रहा है।
केवटी जलप्रपात या क्योटी जलप्रपात
केवटी जलप्रपात या क्योटी जलप्रपात तमसा नदी की सहायक नदी महाना नदी पर मध्य प्रदेश के रीवा जिले के नईगढ़ी तहसील पर स्थित है ।केवटी जलप्रपात या क्योटी जलप्रपात का स्थान भारत के जलप्रपातो मे 24 वा है।केवटी जलप्रपात या क्योटी जलप्रपात 98 मीटर की ऊँचाई पर महाना नदी पर स्थित है, जो तमसा नदी की एक सहायक नदी है।
बहूटी जलप्रपात
बहूटी जलप्रपात भारत के मध्य प्रदेश राज्य का सबसे ऊंचा जलप्रपात है।बहूटी जलप्रपात सेलर नदी पर स्थित है ।सेलर नदी मोहनगंज की घाटी के किनारे से प्रवाहित होकर बीहड़ नदी में मिल जाती है ।सेलर नदी टोंस नदी की सहायक नदी है। बहुति जलप्रपात चचाई जलप्रपात के पास में स्थित है।इसकी ऊंचाई 198 मीटर (650 फीट) है।
ओड्डा जलप्रपात।
ओड्डा नदी बेला नदी की एक सहायक नदी है,तमसा नदी की एक सहायक नदी है। ओड्डा जलप्रपात ओड्डा नदी पर 145 मीटर की ऊंचाई पर है।
बिहार जलप्रपात
बिहार जलप्रपात तमसा नदी( टोंस नदी) पर स्थित है
बिहार जलप्रपात / झरना बिहार राज्य के नवादा जिले से 33 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गोविन्दपुर पुलिस स्टेशन के निकट स्थित है।
तमसा नदी का धार्मिक महत्व एवं पौराणिक महत्व
ऋषिमुनि भारद्वाज का आश्रम भी तमसा नदी पर स्थित है।और इस आश्रम का उल्लेख रामायण में भी किया गया है। तमसा नदी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है, और तमसा नदी का वर्णन रामायण में किया गया है।रामायण में तमसा नदी का उल्लेख मौसमी नदी के रूप में किया गया है।रामायण में यह नदी बाराबंकी से बहती थी।
प्राचीन तमसा नदी का वाल्मिकी रामायण के साथ ही तुलसीदास रामायण में भी उल्लेख किया गया है।इसके अतिरिक्त तमसा नदी जो की पौराणिक नदी का महाभारत व कालिदास द्वारा रचित रघुवंश में भी वर्णन है। जिसके अंतर्गत वाल्मिकी रामायण के अयोध्या कांड में इस नदी का सरयू नदी के साथ उल्लेख है, जो कि अयोध्या के निकट बहती थी। और इस बात का भी वर्णन किया गया है कि भगवान श्रीराम, सीता जी व उनके भाई लक्ष्मण ने वन को जाते हुए मार्ग में प्रथम रात्रि तमसा नदी के तट पर ही बितायी थी. तुलसीदास रामायण में भी वनगमन के वर्णन के दौरान तमसा नदी का उल्लेख किया गया है।इसके अलावा रघुवंश के आधार पर मान्यता है, कि महर्षि वाल्मिकी का आश्रम तमसा नदी के तट पर ही बना हुआ था। जहां भगवान श्रीराम द्वारा निर्वासित किए जाने के बाद सीता जी निवास करती थीं।तमसा नदी का उल्लेख वाल्मीकीय रामायण में अयोध्या के निकट बहने वाली छोटी नदी के रूप में हुआ है।
वर्तमान में यह तमसा नदी अयोध्या (जिला फैजाबाद) से लगभग 12 मील दक्षिण में बहती हुई लगभग 36 मील के बाद अकबरपुर के पास बिस्वी नदी से मिलजाती है। तथा इसके बाद संयुक्त नदी का नाम टौंस हो जाता है, जो कि तमसा का ही अपभ्रंश रूप माना गया है।
रामायण में भी तमसा नदी का उल्लेख किया गया है।
महर्षि वाल्मीकि ने भी रामायण में तमसा नदी का उल्लेख किया है। इतिहास के प्राचीन स्त्रोतों के अनुसार यह बताया जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का आश्रम तमसा नदी के तट पर था। कटेहरी क्षेत्र के धार्मिक स्थल श्रवण क्षेत्र में नदी का संगम बिसुही नदी से हुआ है। मवई का लखनीपुर, बीबीपुर, बरौली, करौंदी, नरौली ग्राम के साथ रामपुरभगन व गोसाईगंज कस्बे इसी नदी के तट पर बसे हैं। तमसा नदी के घाटों से पौराणिक स्मृतियां जुड़ी हुई हैं। रामपुरभगन का गौराघाट, गोसाईगंज का महादेवा व सत्संग घाट सहित ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व रखने वाली तमसा नदी से ऐतिहासिक संबंध जुड़े हुए हैं ।
रामचरित मानस में भी तमसा नदी का उल्लेख किया गया है ।
प्राचीन इतिहास में तमसा नदी कभी अवध क्षेत्र की पहचान हुआ करती थी। वनवास के समय वन जाते समय श्रीराम-लक्ष्मण व सीता ने अयोध्या के बाहर सर्वप्रथम तमसा नदी के तट पर विश्राम करके इसको धन्य बना दिया था। इसका उल्लेख गोस्वामी तुलसी दास ने रामचरित मानस में ‘प्रथम वास तमसा भयो दूसर सुरसरि तीर’ के माध्यम से किया है।
तमसा नदी या टोंस नदी का अपवाह क्षेत्र या बेसिन
तमसा नदी या टोंस नदी का अपवाह क्षेत्र या बेसिन
16,860 कि॰मी2 (6,510 वर्ग मील) है।तमसा नदी का उद्गम स्रोत 610 मीटर (2,000 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। तमसा नदी कैमूर पर्वतमाला में तमसा कुण्ड नामक जलाशय या तालाब से उत्पन्न होती है। तमसा नदी भारत के मध्य प्रदेश राज्य के सतना जिला और रीवा जिला में उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी से होकर बहती है।तमसा नदी गंगा नदी और गोमती नदी के बाईं ओर स्थित है। तमसा नदी रीवा के पठार से भी होकर बहती है और यह पठार कैमूर पर्वत श्रृंखला (दक्षिण में) और विंध्य पर्वत श्रृंखला (उत्तर में) के बीच स्थित है। यह पठार रीवा जिले की हुजूर, सिरमौर और मऊगंज तहसीलों में फैला हुआ है। तमसा नदी उत्तर प्रदेश में बेलन नदी से मिलती है और बेलन नदी सिरसा में गंगा नदी में मिलती है। सिरसा गंगा और यमुना के संगम क्षेत्र से लगभग 311 किलोमीटर (193 मील) नीचे की ओर स्थित है। तमसा नदी अयोध्या जिले से होकर अंबेडकर नगर में टांडा तहसील में दरबन झील तक जाती है। दरबन उत्तर प्रदेश के अम्बेडकर नगर के खेमापुर में स्थित एक प्राकृतिक झील है। तमसा नदी की कुल लंबाई 264 किलोमीटर (164 मील) है और इसका कुल जलग्रहण क्षेत्र 16,860 वर्ग किलोमीटर (6,510 वर्ग मील) है। यह नदी अंततः उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा नदी में मिल जाती है।
तमसा नदी या टोंस नदी का मुहाना
कैमूर की पहाड़ियों से निकलने वाली तमसा की जलधारा मध्य- प्रदेश व उत्तर- प्रदेश राज्य में प्रवाहित होती है, और उत्तर प्रदेश राज्य में बलिया जिले में गंगा नदी में समाहित हो जाती है.तमसा नदी या टोंस नदी का मुहाना उत्तरप्रदेश में इलाहाबाद के निकट सिरसा में गंगा नदी में मिल कर समाप्त हो जाती है।तमसा नदी या टोंस नदी का मुहाना उत्तरप्रदेश में इलाहाबाद के निकट सिरसा में गंगा नदी से मिल जाती है।
भारत में उत्तराखण्ड राज्य और हिमाचल प्रदेश राज्य में बहने वाली तमसा या टोंस नदी की जानकारी
टोंस नदी भारत के उत्तराखण्ड राज्य और हिमाचल प्रदेश राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह यमुना नदी की सहायक नदी है।तमसा नदी उत्तर भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। तमसा नदी को ‘टोंस नदी’ नाम से भी जाना जाता हैं। तमसा नदी उत्तराखण्ड राज्य से उत्पन्न होती है।उत्तराखण्ड राज्य की एक मुख्य नदी है। तमसा नदी का उद्गम स्थान उत्तरकाशी जिले में ‘हर की दून’ घाटी से है। तमसा नदी या ‘टोंस नदी' कर्मनाशा व रूपिन नदी के संगम से बनी है. तमसा नदी यमुना की सहायक नदी है,जो कि कालसी में यमुना नदी से मिलती है।
- तमसा नदी या टोंस नदी भारत के भारत के उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल के उत्तरकाशी ज़िले के बंदरपूंछ पर्वत के उत्तरी डाल पर स्वर्गारोहिनी ग्लेशियर से निकलने वाली सूपिन नदी तथा हिमाचल के डोगरा क्वार से निकलने वाली रूपी नदी के मिलने से बनती है जो कुछ दूरी तक तमसा के नाम से जानी जाती है।
- उत्तराखण्ड राज्य और हिमाचल प्रदेश राज्य के बीच 148 किलोमीटर तक की सीमा में बहते हुए हिमाचल प्रदेश राज्य एवं उत्तराखंड राज्य में सीमा का निर्धारण भी करती है । तमसा नदी या टोंस नदी कालसी में यमुना नदी में मिल जाती है।
- 257 ई.पूर्व का मौर्य सम्राट अशोक का शिलालेख इसी कालसी में स्थित है जोकि यमुना और अमलावा नदियों के संगम पर स्थित है।
- त्यूणी में इस नदी का संगम पब्बर नदी से होता है जो कि हिमाचल के रोहड़ू से होते हुए त्यूणी में आकर टोंस में मिल जाती है।
- टोंस एवं यमुना नदियों के बीच का संपूर्ण क्षेत्र महाभारत की किंवदन्तियों से जुड़ा है।
तमसा नदी या टोंस नदी का उद्गम स्थान
तमसा नदी का उद्गम स्थान भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में ‘हर की दून’ घाटी से है।
यह उत्तराखंड राज्य की एक छोटी सी नदी है जो हर की दून घाटी से निकलकर देहरादून से 56 किलोमीटर दूर कालसी नामक स्थान पर यमुना नदी में मिल जाती है।
उत्तराखण्ड राज्य के गढ़वाल मण्डल के उत्तरकाशी ज़िले के बंदरपूंछ पर्वत के उत्तरी डाल पर स्वर्गारोहिनी ग्लेशियर से निकलने वाली सूपिन नदी तथा हिमाचल के डोगरा क्वार से निकलने वाली रूपी नदी के मिलने से बनती है जो कुछ दूरी तक तमसा के नाम से जानी जाती है।भारत के उत्तराखण्ड राज्य और हिमाचल प्रदेश राज्य में बहने वाली एक नदी है। तमसा नदी यमुना नदी की सहायक नदी है।
तमसा नदी या टोंस नदी की कुल लंबाई
तमसा नदी की कुल लंबाई 148 किलोमीटर है
तमसा नदी या टोंस नदी का अन्य नाम
तमसा नदी के अन्य नाम निम्नलिखित है
टोंस नदी
आसन नदी
शापित नदी
तमसा नदी या टोंस नदी कौन सी नदी की सहायक नदी है ।
यह यमुना नदी की सहायक नदी है।
तमसा या टोंस नदी पर बने हुए बांध या परियोजनाएं।
टौंस नदी पर बनने वाले किशाऊ बांध परियोजना
(प्रोजेक्ट)।
उत्तराखंड में टौंस नदी को तमसा नदी भी कहा जाता है।
एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा बांध तमसा नदी या टोंस नदी पर बनने बनने जा रहा है। तमसा नदी या टोंस नदी को शापित नदी भी माना जाता है। प्राचीन इतिहास के स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि तमसा नदी शापित है। और तमसा नदी को शापित नदी के नाम से पुकारा जाता है। यमुना जी ने इसे श्राप दिया था कि इस नदी का पानी कही भी प्रयोग नहीं किया जा सकेगा। वहीं आज तक हिमाचल में इस नदी के पानी का इस्तेमाल नहीं होता है।हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड की सीमा पर बनने वाला एशिया का दूसरा सबसे बड़ा बांध एक शापित नदी "तमसा नदी" पर बनने जा रहा है।टौंस नदी पर प्रस्तावित किशाऊ बांध दोनों राज्यों का महत्वकांशी प्रोजेक्ट है।यह बांध एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा बांध होगा। किशाऊ बांध में हिमाचल और उत्तराखंड की बराबर की हिस्सेदारी रहेगी। किशाऊ बांध परियोजना पर करीब 10 हजार करोड़ रुपये लागत आएगी। किशाऊ बांध के बनने से 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
- किशाऊ बांध परियोजना से हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
- किशाऊ बांध परियोजना का सबसे ज्यादा फायदा दिल्ली को होगा, जिसे यहां से पीने के लिए पानी की आपूर्ति भी की जाएगी।
- किशाऊ बांध परियोजना से हिमाचल प्रदेश और उतराखंड सहित पांच राज्यों के लोगों को पानी की भी सप्लाई होगी। इस परियोजना का 90 फीसदी खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी जबकि 10 फीसदी हिस्सा हिमाचल व उतराखंड सरकार को देना है।
- किशाऊ बांध परियोजना के बनने से दोनों राज्य की करीब 3000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी। परियोजना के तहत मोहराड़ से त्यूनी तक लगभग 32 किलोमीटर लंबी झील बनाई जाएगी। इसके लिए 2950 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता होगी।
- 660 मेगावाट की क्षमता वाली किशाऊ बांध जलविद्युत परियोजना में 236 मीटर ऊंचा और 680 मीटर लंबा बांध टोंस नदी पर बनाया जाएगा। इसके लिये दोनों राज्यों से 2950 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी।
- किशाऊ बांध की कुल जल संग्रहण क्षमता 18240 लाख घनमीटर होगी। इसके पूर्ण होने पर 18510 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन हर साल होगा।
इचारी बांध – देहरादून
टोंस नदी पर निर्मित है.
छिबरो परियोजना– देहरादून
टोंस नदी पर निर्मित है.
कुल कैपेसिटी 240 MW
नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना
नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना भारत के उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में निर्मित है।60 MW की उत्पादन क्षमता वाली नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना उत्तर भारत में उत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले में यमुना नदी की एक प्रमुख सहायक नदी टोंस पर स्थित है। नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना को स्टैंडएलोन रन-ऑफ-द रिवर परियोजना के रूप में डिजाइन किया गया है। नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना टोंस नदी के दाहिने किनारे पर स्थित है, जो नैटवाड़ गांव के समीप बैराज स्थल तथा बैनोल गांव के समीप विद्युत गृह परिसर तक फैली हुई है। नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना में प्रत्येक वर्ष 265.5 मिलियन यूनिट के विद्युत उत्पादन की क्षमता है। नैटवाड़ मोरी परियोजना के निष्पादनार्थ उत्तराखंड सरकार के साथ 21 नवम्बर,2005 को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे।माननीय केंद्रीय विद्युत मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री. आर के सिंह तथा उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 30.03.2018 को मोरी में नैटवाड़ मोरी जलविद्युत परियोजना की आधारशिला माननीय केंद्रीय विद्युत मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री. आर के सिंह तथा उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के द्वारा रखी गई थी।
रेणुकाजी बांध परियोजना
वर्तमान में भारत के 6 राज्यों- दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान ने रेणुकाजी बांध बहुद्देशीय परियोजना के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये।रेणुकाजी बांध परियोजना हिमाचल प्रदेश के सिरमोर ज़िले में यमुना की सहायक गिरि नदी पर निर्मित की जाएगी।इस परियोजना के अंतर्गत 148 मीटर ऊँचा बांध बनाया जाएगा तथा इससे दिल्ली व अन्य बेसिन राज्यों को 23 क्यूसेक जल की आपूर्ति की जाएगी।
- रेणुकाजी बांध परियोजना से 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
- बिजली का उत्पादन हिमाचल प्रदेश ऊर्जा निगम द्वारा किया जाएगा।
- रेणुकाजी बांध परियोजना की जल संग्रहण क्षमता 0.404 मिलियन एकड़ फुट है और हिमाचल प्रदेश में इस बांध का डूब क्षेत्र 1508 हेक्टेयर है।
- रेणुकाजी बांध परियोजना निर्माण के पश्चात गिरि नदी के प्रवाह में 110 प्रतिशत की वृद्धि होगी और यह दिल्ली व अन्य बेसिन राज्यों के जल की जरूरत को पूरा करेगी।
- रेणुकाजी बांध परियोजना यमुना और इसकी दो सहायक नदियों– टोंस और गिरि पर बनाई जाने वाली संग्रह परियोजनाओं का हिस्सा है। अन्य दो परियोजनाएँ- यमुना नदी पर लखवार परियोजना तथा टोंस नदी पर किसाऊ परियोजना है।
- वर्ष 2008 में इन तीनों परियोजनाओं को राष्ट्रीय परियोजनाओं का दर्ज़ा दिया गया था जिसके तहत सिंचाई एवं पेयजल घटक की लागत का 90% वित्तपोषण भारत सरकार द्वारा केंद्रीय सहायता के रूप में तथा शेष 10% लाभार्थी राज्य द्वारा वहन किया जाएगा।
तमसा या टोंस नदी का मुहाना
भारत में हिमालय की पर्वतमालाओं से निकलने के बाद शिवालिक श्रेणियों में बहते हुए तमसा नदी की जलधारा उत्तराखण्ड के देहरादून जिले में बहती है. जहां से विभिन्न क्षेत्रों में बहते हुए कालसी नामक स्थान पर तमसा का यमुना नदी से संगम हो जाता है।