रावला नृत्य
रावला नृत्य :- ( Rawla Nritya ) रावला नृत्य, बुंदेलखंड (बुन्देलखण्ड) क्षेत्र या अंचल का एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है।रावला लोक नृत्य, बुंदेलखंड (बुन्देलखण्ड) का लोक नृत्य है।यह मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य - नृत्यों (Madhya Pradesh Ke Pramukh Lok Nritya) मे से एक है। इस लेख में हम रावला नृत्य की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे:-
- रावला नृत्य क्या है?
- रावला नृत्य किस क्षेत्र से संबंधित है?
- रावला नृत्य मध्य प्रदेश के किस क्षेत्र से संबंधित है?
- रावला नृत्य की उत्पत्ति कहां से हुई?
- रावला नृत्य पुरुष प्रधान नृत्य है?
- दलितों का नृत्य कौन सा है?
- रावला नृत्य किस जाति का जातिगत नृत्य है
- रावला नृत्य किन अवसरों पर किया जाता है?
- रावला का नृत्य का प्रमुख नर्तक कौन होता है?
- रावला नृत्य के प्रमुख वाद्य यंत्र कौन से हैं ?
- रावला नृत्य का अन्य नाम क्या है?
- रावला नृत्य कब किया जाता है?
- बुंदेलखंड अंचल या क्षेत्र में खुशियों के अवसर पर विवाह अवसर पर एवं बच्चों के जन्म के अवसर पर कौन सा नृत्य किया जाता है?
रावला नृत्य : Rawla Nritya In Hindi
रावला नृत्य (Rawla Nritya) -: (Rawla Nritya) रावला नृत्य बुंदेलखंड का लोक नृत्य है। यह नृत्य मध्य प्रदेश राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित है। ' रावला ' पुरुष प्रधान नृत्य है।रावला नृत्य बुंदेलखंड (बुन्देलखण्ड) में दलित जातियों जैसे धोबी चमार, काछी,ढीमर, गडरिया, बसोड़, कोरी एवं मेहतर जाति या समाज के लोगों के द्वारा किया जाता है।
रावला नृत्य, को बुंदेली हास्य रावला लोक नृत्य के नाम से भी जाना जाता है।रावला नृत्य बुंदेलखंड में खुशियों के अवसर पर,विवाह अवसर पर एवं बच्चे के जन्म पर (दस्टोन उत्सव)पर किया जाने वाला एक पारंपरिक लोक नृत्य है।
यह नृत्य मुख्य रूप से एक नृत्य नाटिका है जिसमे एक पुरुष स्त्री की वेशभूषा धारण करता है और दूसरा पुरुष विदूषक का वेशभूषा धारण करता है विदूषक हास्य और व्यंग के माध्यम से समाज की पोल खुलता है एवं नव चेतना के संदेश का भी प्रचार करता है।यह नृत्य रात्रि से सुबह तक चलता है।इस नृत्य को बहुत ही मजेदार भाव-भंगिमाओं और हास्यपूर्ण संवादों के साथ प्रदर्शित किया जाता है।रावला नृत्य की उत्पत्ति राई नृत्य से हुई है।
- बुंदेलखंड अंचल की लोकविधा या लोक नृत्य रावला एक जातीय या जातीगत लोक नृत्य है।
- यह नृत्य बुंदेलखंड (बुन्देलखण्ड) में दलित जातियों जैसे धोबी चमार, काछी,ढीमर, गडरिया, बसोड़, कोरी एवं मेहतर जाति या समाज के लोगों के द्वारा किया जाता है।
- ( Rawla Nritya ) रावला नृत्य, बुंदेलखंड (बुन्देलखण्ड) क्षेत्र या अंचल में धोबी, चमार, काछी, ढीमर, अहीर, गड़रिया, कोरी, बसोर , मेहतर आदि जातियों में प्रचलित लोक नृत्य है।
- यह नृत्य व्यावसायिक नृत्य होता है, जो बुंदेलखंड (बुन्देलखण्ड) में शादी-विवाह आदि के शुभ अवसर पर विशेष रूप से नाचा जाता है।
- रावला नृत्य में एक पुरुष स्त्री का भेष धारण करता है और दूसरा पुरुष विदूषक बनता है।
- इस नृत्य के प्रमुख वाद्य यंत्र हारमोनियम, सारंगी, मृदंग, झींका, कसावरी और रमतूला ढोलक हारमोनियम बैंजो।
- रावला नृत्य में नृत्य के साथ स्वांग भी भरे जाते हैं।
- रावला नृत्य मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित है ।
- रावला नृत्य बैगा जनजाति के द्वारा किया जाता है,इस नृत्य में बैगा आदिवासियों के द्वारा विवाह के अवसर पर बारात के आगमन के समय पर किया जाने वाला नृत्य है।
- रावला नृत्य बुंदेलखंड क्षेत्र या आंचल का एक जातिगत नृत्य है।
- बुंदेलखंड क्षेत्र में यह नृत्य धोबी चमार काछी ढीमर गडरिया बसोड़ कोरी मेहतर जाति या समाज के लोगों के द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
- रावला नृत्य विवाह के अवसरों पर किया जाने वाला नृत्य है।
- रावला नृत्य पुरुष प्रधान नृत्य है। इस नृत्य में सिर्फ पुरुष ही भाग लेते है।
- रावला नृत्य करते समय रावला गीत गाया जाता है जो विभिन्न प्रसंगों जैसे देवी देवताओं के प्रसंगों आधारित,कुछ सामाजिक चेतना पर आधारित एवं कुछ संस्कारों और स्ररंपराओं पर आधारित होते है।
- रावला नृत्य करते समय बीच बीच में स्वाँग (लघु नाटक) भी किए जाते है।
रावला नृत्य क्या है?
रावला नृत्य बुंदेलखंड का एक जातिगत लोक नृत्य है जो दलित जातियों जैसे धोबी चमार, काछी,ढीमर, गडरिया, बसोड़, कोरी एवं मेहतर जाति या समाज के लोगों के द्वारा किया जाता है। यह नृत्य पुरुष प्रधान नृत्य होता है जिसमें एक पुरुष स्त्री का भेष धारण करता है और दूसरा पुरुष विदूषक की भूमिका निभाता है।
रावला नृत्य किस क्षेत्र से संबंधित है?
रावला नृत्य मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित है यह बुंदेलखंड क्षेत्र का एक पारंपरिक लोक नृत्य है, जो दलित जातियों के द्वारा किया जाता है।
रावला नृत्य पुरुष प्रधान नृत्य है
बुंदेलखंड का रावला नृत्य एक पुरुष प्रधान नृत्य होता है जिसमें प्रमुख नर्तक पुरुष होते हैं इस नृत्य में एक पुरुष स्त्री की वेशभूषा धारण करता है और दूसरा पुरुष विदूषक की भूमिका को अदा करता है।
रावला नृत्य कब किया जाता है?
बुंदेलखंड अंचल या क्षेत्र में खुशियों के अवसर पर विवाह अवसर पर एवं बच्चों के जन्म के अवसर पर रावला नृत्य किया जाता है?
रावला नृत्य के प्रमुख वाद्य यंत्र
इस नृत्य के प्रमुख वाद्य यंत्र निम्न हैं:-
- हारमोनियम,
- सारंगी,
- मृदंग,
- झींका,
- कसावरी,
- रमतूला
- ढोलक,
- बैंजो ,
- सूपा और मटके है।
रावला नृत्य से संबंधित अक्सर पूछ जाने वाले प्रश्न
ANS- रावला नृत्य मध्य प्रदेश राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र या आंचल से संबंधित है।
ANS- रावला नृत्य की उत्पत्ति बुंदेलखंड के प्रमुख लोक नृत्य ' राई नृत्य ' से हुई है।
ANS- बुंदेलखंड क्षेत्र में दलितों का नृत्य रावला नृत्य है।
ANS- रावला नृत्य दलित जाति जैसै जैसे धोबी चमार, काछी,ढीमर, गडरिया, बसोड़, कोरी एवं मेहतर जाति या समाज के लोगों का जातिगत नृत्य है।
ANS- रावला नृत्य खुशियों के अवसर पर,विवाह अवसर पर एवं बच्चे के जन्म पर (दस्टोन उत्सव)पर किया जाता है।
ANS- रावला नृत्य का प्रमुख नर्तक पुरुष होते हैं ।इस नृत्य में एक पुरुष स्त्री की वेशभूषा धारण करता है और दूसरा पुरुष विदूषक की भूमिका निभाता है।
ANS- बुंदेली हास्य रावला लोक नृत्य।
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमने मध्य प्रदेश राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रमुख लोक नृत्य रावला नृत्य की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है।लोक नृत्य रावला दलित जातियों का लोक नृत्य है।यह नृत्य बुंदेलखंड क्षेत्र संबंधित है।यह नृत्य पुरुष प्रधान नृत्य होता है यह नृत्य शादी विवाह के अवसर पर बच्चों के जन्म के अवसर पर एवं खुशियों के अवसर पर किए जाने वाला लोक नृत्य है।