विंध्याचल पर्वत | भारत | मध्यप्रदेश
आज इस लेख में हम विंध्याचल पर्वत (Vindhyachal Mountain) से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे। विन्ध्याचल पर्वत या विंध्याचल पर्वत, भारत के पश्चिम-मध्य भाग में स्थ्ति है।इस पर्वत को विंध्य पर्वत, विंध्याचल रेंज,विंध्याचल पर्वतमाला विंध्याचल पर्वत शृंखला और विंध्याचल पर्वत श्रेणी के नाम से भी जाना जाता है।यह पर्वतमाला भारत के मध्य में स्थित है।विंध्याचल पर्वत मध्य प्रदेश राज्य,छत्तीसगढ़ राज्य,गुजरात राज्य,उत्तर प्रदेश राज्य (दक्षिणी भाग)और बिहार राज्य में स्थित है।
विंध्याचल पर्वत : Vindhyachal Mountain
विंध्याचल रेंज भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य में उत्तरी भाग में स्थित है।यह पर्वत श्रेणी या श्रंखला मध्य प्रदेश राज्य के मध्य में स्थित है।भांडेर, कैमूर व पारसनाथ विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला के उपविभाग हैं यह पर्वत श्रेणी मध्यप्रदेश राज्य में पूर्व में भांडेर - कैमूर पर्वत श्रेणी से पश्चिम दिशा तक विस्तृत रूप में फैली हुई है,और अरावली पर्वत से मिल जाती है।यह पर्वत श्रेणी मध्य प्रदेश को पार कर वाराणसी (बनारस) की गंगा नदी घाटी से मिलती है।हिमालय पर्वत के निर्माण से पहले विंध्याचल पर्वत श्रेणी का निर्माण हुआ है,और यह पर्वत श्रेणी नर्मदा नदी के समांतर उत्तर में पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर विस्तृत रूप से फैली हुई है।
यह पर्वत श्रेणी उत्तर में उत्तर प्रदेश एवं बिहार तक विस्तृत रूप में फैली हुई है ,और मध्य भाग में मध्य प्रदेश राज्य तक विस्तृत रूप से फैली हुई है एवं पूर्व में छत्तीसगढ़ राज्य तक विस्तृत रूप में फैली हुई है। यह पर्वत श्रेणी का पश्चिमी अंत गुजरात में होता है, एवं पूर्व में राजस्थान एवं मध्य प्रदेश राज्य की सीमा के निकट स्थित है।यह पर्वत श्रेणी गुजरात मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड राज्य में विस्तृत रूप में फैली हुई है।इस पर्वत श्रेणियों के भूभाग को भारनेर की पहाड़ियां कहा जाता है।विंध्याचल पर्वत श्रेणी का पूर्वी हिस्सा जो सतपुड़ा पहाड़ी से मिलता है। उस पर्वत श्रेणी या श्रंखला को मैकल पर्वत श्रेणी कहा जाता है।कैमूर पर्वत श्रेणी भी विंध्याचल पर्वत श्रेणी का हिस्सा है।कैमूर पर्वत श्रेणी,विंध्याचल पर्वत श्रेणी का पूर्वी भाग है।विंध्याचल पर्वत श्रेणी की सीमा पूर्व में छोटा नागपुर पठार से मिलती है।विंध्याचल पर्वत श्रेणी पश्चिम से पूर्व की ओर भांडेर की पहाड़ियां, कैमूर पर्वत श्रेणी, एवं पारसनाथ की पहाड़ियां है जो गुजरात से लेकर झारखंड राज्य तक विस्तृत रूप में फैली हुई है। विंध्याचल पर्वत श्रेणी उत्तर भारत को दक्षिण भारत से विभाजित करती है।विंध्याचल पर्वत श्रेणी मध्यप्रदेश राज्य की सबसे प्राचीन पर्वत श्रेणी है। यह विश्व की सबसे प्राचीनतम पर्वत श्रेणियों में से एक है ।यह पश्चिमी भाग है इसके अंतर्गत मांडू अशर्फी पहाड़ी "वाचू प्वाइंट" "काकडी वराडी" सलकनपुर एवं भीम बेटिका आते हैं।यह पर्वत श्रेणी नर्मदा नदी के उत्तर में पूर्व से पश्चिम की ओर फैला हुआ है, और इसकी ऊंचाई 457 मीटर से 610 मीटर तक है लेकिन कहीं-कहीं इसकी ऊंचाई 914 मीटर भी देखने को मिल जाता है।
- विंध्याचल पर्वतमाला पश्चिम से पूर्व की ओर भांडेर कैमूर एवं पारसनाथ की पहाड़ियों के रूप में गुजरात से लेकर झारखंड तक फैला हुआ है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी को अवशिष्ट पर्वत के नाम से भी जाना जाता है।
- विंध्याचल पर्वतमाला उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करती है।
- विंध्याचल पर्वत प्राचीन युग से परतदार चट्टानों से निर्मित है जिसमें लाल बलुआ पत्थर अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।
- पश्चिम में गुजरात में लगभग 1086 किलोमीटर तक फैला हुआ है यह श्रेणी मध्य प्रदेश को पार कर वाराणसी (बनारस) की गंगा नदी घाटी से मिलती है।
- विंध्याचल पर्वत की गणना सप्तकुल पर्वतों में की जाती है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी पहाड़ियों की टूटी फूटी श्रंखला है जो भारत को मध्यवर्ती उच्च भूमि का दक्षिणी कगार बनाती है।
- विंध्याचल पर्वत के पूर्व में पारसनाथ पर्वत श्रेणी जो कि झारखंड राज्य में स्थित है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला का उल्लेख वध महाभारत रामायण और पुराणों में किया गया है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला की रानी विंध्यवासिनी माता है मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर मिर्जापुर उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी देश के 51 शक्तिपीठों में से एक है। विंध्याचल पर्वत श्रेणी पहाड़ियों की टूटी फूटी श्रंखला है। विंध्याचल पर्वत श्रेणी भारत की मध्यवर्ती उच्च भूमि का कगार का निर्माण करती है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी भारत के पश्चिम मध्य में स्थित प्राचीन गोलाकार पर्वतों की श्रंखला या श्रेणियां हैं।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी भारत उपखंड को उत्तरी भारत और दक्षिणी भारत में विभाजित करती है।
- विंध्याचल पर्वत माला या विंध्याचल पर्वत का विस्तृत विस्तार उत्तर प्रदेश राज्य मध्यप्रदेश राज्य छत्तीसगढ़ राज्य गुजरात राज्य बिहार राज्य तक 1086 किलोमीटर तक विस्तृत रूप में फैला हुआ है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणियों से उद्गम होने वाली प्रमुख नदियां निम्नलिखित हैं शिप्रा या भद्रा, पयोष्णी,निविध्या ( नेबुज),तापी,निषधा या निषधावती (सिंध),वेणगंगा(वेण्वा या वेणा),वैतरणी (बैतरणी),सिनीवाली या शितीबाहु,कुमुद्वाती (स्वर्ण रेखा).करतोया या तोया (ब्रम्हाणी).महागोरी (दामोदर),पूर्णा सोन या शोण,महानद (महानदी).नर्मदा।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी दक्षिणी उत्तर प्रदेश से लेकर गुजरात राज्य तक विस्तृत रूप में फैली हुई है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी पश्चिम मैं सागर जिले के दक्षिण पूर्व से सीधी जिले तक विस्तृत रूप में फैली हुई है।
- मिर्जापुर की विंध्याचल पर्वत श्रेणी पर स्थित विंदेश्वरी देवी वाले पर्वत शिखर या चोटी को विंध्याचल की पूर्वी सीमा माना जाता है।
विंध्याचल पर्वत या विंध्यांचल पर्वत श्रेणी की विशेषता
विंध्याचल पर्वत श्रेणी की निम्नलिखित महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं
- विंध्याचलख पर्वत नर्मदा नदी के उत्तर में स्थित है।
- नर्मदा नदी के उत्तर में विंध्याचल पर्वत स्थित है ।
- विंध्याचल पर्वत राजस्थान से झारखंड राज्य तक स्थित है।
- विंध्यांचल पर्वत श्रेणी उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच में स्थित है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल कर्क रेखा के समांतर है। विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल नर्मदा नदी के समांतर है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल भारत को दो भागों में बांटती है ,(उत्तरी भारत और दक्षिणी भारत)
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्यांचल उत्तर भारत के ड्रेनेज सिस्टम को दक्षिण भारत के ड्रेनेज सिस्टम से अलग करता है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल (नॉर्थ इंडिया और साउथ इंडिया) उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच का जो ड्रेनेज सिस्टम है उसमें जल विभाजक का काम करता है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच जल विभाजक का कार्य करता है।
विंध्याचल पर्वत या विंध्याचल पर्वत श्रेणी में स्थित पठार
सामान्यता विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल पर्वत के उत्तरी भाग में कई प्रकार के पठार स्थित है विंध्याचल पर्वत या विंध्याचल पर्वत श्रेणी में निम्नलिखित पठार स्थित है
- मालवा का पठार
- बुंदेलखंड पठार
- भांडेर खंड पठार
- बघेलखंड का पठार
विंध्याचल या विंध्याचल पर्वत श्रेणी में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज
- लाल पत्थर
- बलुआ पत्थर
- चूना पत्थर
- कोयला
- हीरा
- रेत
- डोलोमाइट
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या पर्वत कहाँ स्थित है?
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या पर्वत या पर्वतमाल भारत के पश्चिम-मध्य में स्थित है।यह पर्वत या पर्वत श्रेणी या पर्वतमाला प्राचीन गोलाकार पर्वतों की श्रेणियां है, जो भारत उपखंड को उत्तरी भारत व दक्षिणी भारत में बांटती है या विभाजित करती है। इस पर्वतमाला का विस्तृत विस्तार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार तक लगभग 1,086 कि. मी. तक फैला हुआ है।
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रृंखला का विस्तृत विस्तार
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रृंखला का विस्तार अलीराजपुर, धार, बड़वानी, खरगोन, खंडवा, इंदौर, देवास, हरदा, होशंगाबाद ,नरसिंहपुर, जबलपुर, दमोह, कटनी छतरपुर ,पन्ना, सतना, रीवा ,सीधी, सिंगरौली तक विस्तृत रूप में फैली हुई है। यह पर्वत श्रेणी मध्यप्रदेश राज्य में पूर्व में भांडेर कैमूर पर्वत श्रेणी से पश्चिम दिशा तक विस्तृत रूप में फैली हुई है, और अरावली पर्वत से मिल जाती ।है भारत देश में विंध्याचल पर्वत श्रेणी पश्चिम में गुजरात तक विस्तृत रूप से फैली हुई है, उत्तर में उत्तर प्रदेश एवं बिहार तक विस्तृत रूप में फैली हुई है, और मध्य भाग में मध्य प्रदेश राज्य तक विस्तृत रूप से फैली हुई है एवं पूर्व में छत्तीसगढ़ राज्य तक विस्तृत रूप में फैली हुई है। यह श्रेणी का पश्चिमी अंत गुजरात में होता है एवं पूर्व में राजस्थान एवं मध्य प्रदेश राज्य की सीमा के निकट स्थित है । विंध्याचल पर्वत श्रेणी भारत देश के मध्य भाग में होते हुए पूर्व व उत्तर से होते हुए मिर्जापुर में गंगा नदी तक जाती है। विंध्याचल पर्वत उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करता है या विभाजित करता है।यह पर्वत श्रेणी गुजरात मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड राज्य में विस्तृत रूप में फैली हुई है ।भारत देश के मध्य -प्रदेश राज्य एवं उत्तर प्रदेश राज्य के कुछ हिस्सों में विस्तृत रूप से फैली हुई श्रेणियों के भूभाग को "भारनेर की पहाड़ियां"कहा जाता है। विंध्याचल पर्वत श्रेणी का पूर्वी हिस्सा जो सतपुड़ा पहाड़ी से मिलता है उस पर्वत श्रेणी या श्रृंखला को मैकल पर्वत श्रेणी कहा जाता है।
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला का भौगोलिक प्रदेश का विस्तार मध्य प्रदेश राज्य में किन जिलो मे है।
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला का भौगोलिक प्रदेश का विस्तार मध्य प्रदेश राज्य के 11 जिलों में हैं
- दतिया
- टीकमगढ़
- निवाड़ी
- छतरपुर
- पन्ना
- सतना
- रीवा
- सीधी
- शहडोल
- सागर
- दमोह
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला का भौगोलिक प्रदेश का विस्तार उत्तर प्रदेश राज्य में में किन जिलो मे है।
विंध्याचल पर्वत श्रेणी का भौगोलिक प्रदेश का विस्तार उत्तर प्रदेश राज्य के 5 जिलों में है
- बांदा
- झांसी
- ललितपुर
- हमीरपुर
- जालौन
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला से कौन-कौन सी नदी का उद्गम हुआ है या प्रवाहित होने वाली प्रमुख नदियां
विंध्याचल पर्वत की 450 मीटर से 1100 मीटर की ऊँचाई पर विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला से गंगा-यमुना प्रणाली की मुख्य दक्षिणी सहायक नदियाँ निकलती हैं, जिनमें चंबल, बेतवा, केन और टोन्स शामिल हैं।विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला से अनेक नदियां निकलती या प्रवाहित होती हैं जैसे नर्मदा नदी, सोन नदी ,केन नदी, बेतवा नदी।विंध्याचल पर्वत से महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम हुआ है जैसे कालीसिंध नदी पार्वती नदी बेतवा नदी के नदी सोन नदी तमसा नदी परवन नदी नेवज नदी।
विंध्याचल एवं सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के मध्य कौन सी नदी बहती है या प्रवाहित होती है।
नर्मदा नदी
विंध्याचल पर्वत श्रेणी की शाखाएं
विन्ध्याचल पर्वत मालवा पठार का दक्षिणी छोर बनाते हैं और इसके बाद दो शाखाओं में बंट जाते हैं-
1, कैमूर पर्वत श्रेणी
2, सतपुड़ा पर्वत श्रेणी
1, कैमूर पर्वत श्रेणी जो सोन नदी के उत्तर से पश्चिमी बिहार राज्य तक फैली है
2, सतपुड़ा पर्वत श्रेणी दक्षिणी शाखा, जो सोन और नर्मदा नदी के ऊपरी क्षेत्र के बीच मैकल श्रेणी (या अमरकंटक पठार) में सतपुड़ा पर्वत श्रेणी से मिलती है। मालवा पठार के दक्षिण से आरम्भ होकर यह श्रेणी पूर्व की ओर मध्य प्रदेश तक विस्तृत हैं। यह भारत को दक्षिण भारत से अलग करती है।
विंध्याचल में या विंध्याचल पर्वत श्रेणी में कौन-कौन से पर्वत है?
विंध्याचल पर्वत श्रेणी में निम्न पर्वत हैं
- अमरकंटक विध्यांचल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊॅची जगह है, इस चोटी की ऊॅचाई समुद्र तल से 3438 फीट है।
- झारखण्ड में भी पारसनाथ की पहाड़ीयो को इसी का हिस्सा माना जाता है।
- केमुर श्रैणी भी इसी का हिस्सा मानी जाती है। पूर्व में इसकी सीमा छोटा नागपुर पठार से लगती है।
विंध्याचल पर्वत या विंध्याचल पर्वत श्रेणी कौन कौन से राज्य में स्थित है
विंध्याचल पर्वत या विंध्यांचल पर्वत श्रेणी भारत में निम्नलिखित राज्यों में स्थित है
- मध्य प्रदेश राज्य
- गुजरात राज्य
- उत्तर प्रदेश राज्य
- झारखंड राज्य
- छत्तीसगढ़ राज्य
- बिहार राज्य
विंध्या विंध्यांचल पर्वत श्रेणी के दक्षिण मे सबसे ऊंची चोटी कौन सी है?
विंध्या या विंध्याचल पर्वत श्रेणी के दक्षिण में सबसे ऊंची चोटी अनामुदी चोटी या पर्वत है हिमालय के बाद भारत की सबसे ऊंची पर्वत की चोटी अनामुदी। अनामुदी समुद्र तल से 2695 मीटर की ऊंचाई पर है और पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची चोटी है।अनामुडी भारतीय राज्य केरल में स्थित है। यह 2,695 मीटर की ऊंचाई पर पश्चिमी घाट और दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी है। अनामुडी नाम का शाब्दिक अर्थ "हाथी का माथा" है, जो एक हाथी के सिर के पहाड़ जैसा दिखता है।
विंध्याचल पर्वत श्रेणी की सबसे ऊंची चोटी या शिखर कौन सी है
- विध्यांचल पर्वत की सबसे ऊॅची चोटी या शिखर अमरकंटक है, इस चोटी की ऊॅचाई समुद्र तल से 3438 फीट है।
- विंध्याचल पर्वत की सबसे ऊंची चोटी या शिखर गुडविल शिखर ("गुडविल शिखर") सद्भावना चोटी के रूप में जाना जाता है, जो समुद्र तल से 2467 फीट ऊपर स्थित है। इसे कलुमर चोटी या कलुम्बे चोटी के नाम से भी जाना जाता है।
विंध्य पर्वत के गुरु कौन थे?
इतिहास से प्राप्त स्त्रोतों के अनुसार विंध्याचल पर्वत या विंध्याचल पर्वत श्रेणी के गुरु के गुरु अगस्त्य मुनि थे ।
विंध्याचल क्यों प्रसिद्ध है?
धार्मिक दृष्टिकोण के अनुसार विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल ने मां विंध्यवासिनी देवी का एक प्राचीन मंदिर स्थित है इसी वजह से विंध्याचल एक प्रसिद्ध शहर है।
सोन द्रोणी विंध्याचल पर्वत श्रेणी में स्थित है
सोन द्रोणी एक घाटी है। इस गाड़ी की लंबाई 250 किलोमीटर है यह घाटी विंध्याचल पर्वत श्रेणी से पूर्व से पश्चिम में विस्तृत रूप से फैली हुई है फोन द्रोणी के उत्तर में कैमूर स्कार्प स्थित है जिसकी लंबाई 610 मीटर है।
विंध्य रेंज या विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल पर्वत कहां से कहां तक है
विंध्य रेंज या विंध्याचल पर्वत श्रेणी या विंध्याचल पर्वत या विंध्याचल पर्वतमाला पश्चिम में गुजरात, उत्तर में उत्तर प्रदेश व बिहार, मध्य में मध्य प्रदेश और पूर्व में छत्तीसगढ़ तक विस्तृत रूप में फैला हुआ है।
विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला के अन्य अन्य महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला हिमालय से भी प्राचीन पर्वत है , जो नर्मदा नदी के उत्तर में पूर्व से पश्चिम की ओरविस्तृत रूप से फैली हुई है ।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला की ऊंचाई 457 मीटर से 610 मीटर तक है लेकिन कहीं-कहीं इसकी ऊंचाई 914 मीटर है ।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला के उत्तर में मालवा का पठार है ।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला की सबसे ऊंची चोटी या शिखर अमरकंटक है !
- पूर्वी क्षेत्र में विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला को भांडेर पर्वत या भांडेर की पहाड़ियां के नाम से भी जाना जाता है ।विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला से अनेक नदियां जैसे नर्मदा नदी,सोन नदी,केन नदी,बेतवा नदी निकलती है ।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला का निर्माण क्वार्टज के बालू के लाल पत्थरों से हुआ है ।
- सदभावना शिखर विध्यांचल पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊॅची जगह है, इस चोटी की ऊॅचाई समुद्र तल से 2467 फीट है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला के पूर्वी विस्तार को कैमूर भांडेर पर्वत कहते है |
- विंध्य पर्वत या विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला भारत के पश्चिम-मध्य में स्थित प्राचीन गोलाकार पर्वतों की श्रृंखला है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला भारत उपखंड को उत्तरी भारत व दक्षिणी भारत में बांटती है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला व सतपुड़ा पर्वत श्रेणी को नर्मदा नदी अलग करती है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी या श्रंखला एवं सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के मध्य नर्मदा नदी प्रवाहित होती है।
- अरावली और विंध्याचल के बीच में मालवा का पठार (Malwa Plateau) स्थित है।
- विंध्याचल पर्वत का विस्तार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात एवं बिहार तक है।
- विन्ध्य पर्वत को उत्तर और दक्षिण भारत का विभाजन रेखा कहा जाता है।
- विंध्याचल पर्वत नर्मदा नदी के उत्तर में पूर्व से पश्चिम में फैला हुआ है।
- विंध्याचल पर्वत अवशिष्ट पर्वत के नाम से भी जाना जाता है |
- इस पर्वतमाला का विस्तार उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार तक है।
- विंध्याचल पर्वत का विस्तार लगभग 1086 किलोमीटर तक है।
- विन्ध्याचल पर्वत मालवा पठार का दक्षिणी छोर बनाते हैं।
- मालवा पठार के दक्षिण से आरम्भ होकर यह श्रेणी पूर्व की ओर मध्य प्रदेश तक विस्तृत हैं।
- विंध्याचल पर्वत भारत को दक्षिण भारत से अलग करती है।
- विंध्याचल पर्वतमाला भारत के मध्य में स्थित है।
- विंध्याचल पर्वत की गणना सप्तकुल पर्वतों में है विंध्य का नाम पूर्व वैदिक साहित्य में नहीं है।
- वाल्मीकि रामायण, किष्किंधा काण्ड में विंध्य का उल्लेख 'संपाती' नामक गृध्रराज ने किया है।
- महाभारत, भीष्मपर्व में विंध्य को कुलपर्वतों की श्रेणी में परिगणित किया गया है।
- कालिदास ने कुश की राजधानी कुशावती को विंध्य के दक्षिण में बताया है कुशावती को छोड़कर अयोध्या वापिस आते समय कुश ने विंध्य को पार किया था।
- चंबल नदी, बेतवा, केन और टोन्स, तमसा, काली सिंध, सोन, पार्वती नदियों का उद्गम यहीं से हुआ है।
- देश की 51 शक्तिपीठों में से एक मां विंध्यवासिनी का मंदिर इसी पहाड़ पर बसा है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणियों में बहुमूल्य हीरेयुक्त एक भ्रंशीय पर्वत भी है।
- इसका विस्तार नर्मदा नदी के उत्तर में पूर्व से पश्चिम की ओर है।
- विंध्याचल पर्वत की औसत ऊँचाई 457 से 610 मी तक है।
- यह श्रेणी विन्ध्याचल, भाण्डेर, कैमूर तथा पारसनाथ पहाड़ियों के समूह के रूप में पाई जाती है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी गंगा और नर्मदा नदी बेसिन की जलद्विभाजक है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी से चम्बल, बेतवा एवं केन नदियाँ निकलती हैं।
- विन्ध्याचल श्रेणी में चूना पत्थर सतना से, हीरा पन्ना से और कोरण्डम रीवा जिले से प्राप्त किया जाता है।
- विंध्याचल श्रेणी की सर्वोच्च चोटी गुडविल पीक है।
- विन्ध्याचल पर्वत मालवा पठार का दक्षिणी छोर बनाते हैं और इसके बाद दो शाखाओं में बंट जाते हैं- कैमूर श्रेणी, जो सोन नदी के उत्तर से पश्चिमी बिहार राज्य तक फैली है तथा दक्षिणी शाखा, जो सोन और नर्मदा नदी के ऊपरी क्षेत्र के बीच मैकल श्रेणी (या अमरकंटक पठार) में सतपुड़ा पर्वतश्रेणी से मिलती है।
- कांगरिया पर्वत है। बागली से महज 12 किलोमीटर दूर धावड़िया पंचायत के गांव बावड़ीखेड़ा से 3 किलोमीटर जंगली रास्तों से गुजरकर कांगरिया पर्वत पहुंचा जा सकता है।
- विंध्याचल पर्वत श्रेणी पहाड़ियों की टूटी-फूटी श्रृंखला है।
- पुराणों के अनुसार इसके अंतर्गत रोहतासगढ़, चुनारगढ़, कलिंजर आदि अनेक दुर्ग हैं तथा चित्रकूट, विंध्याचल आदि अनेक पावन तीर्थ हैं।