राज्य निर्वाचन आयुक्त - State Election Commissioner
राज्य चुनाव आयुक्त को ही राज्य निर्वाचन आयुक्त कहते हैं।राज्य चुनाव आयुक्त को अंग्रेजी में State Election Commissioner के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक राज्य का निर्वाचन आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission)का अध्यक्ष होता है।भारत देश मे सभी राज्यों में निर्वाचन आयोग का नेतृत्व राज्य निर्वाचन आयुक्त (Rajya Nirvachan Aayukt) करता है।आज हम इस लेख में राज्य के निर्वाचन आयुक्त से संबंधित निम्न महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे जैसे:
- राज्य का निर्वाचन आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष होता है।
- राज्य के निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है।
- राजन के निर्वाचन आयुक्त के कार्य एवं शक्तियां।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त(Rajya nirvachan aayukt)की योग्यता या अहर्ता क्या होती है।
- राज्य के निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल।
- राज्य के निर्वाचन आयुक्त की पदमुक्ति।
- राज्य के निर्वाचन आयुक्त के वेतन भत्ते।
- राज्य के निर्वाचन आयुक्त का त्यागपत्र ।
- राज्य के निर्वाचन आयुक्त का निष्कासन किस विधि या रीति से होता है।
- राज्य के निर्वाचन आयुक्त को कौन हटा सकता है।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त के महत्वपूर्ण प्रश्न MCQ
राज्य निर्वाचन आयुक्त :State Election Commissioner : राज्य चुनाव आयुक्त
भारत देश के सभी राज्यों में राज्य निर्वाचन आयोग का गठन एक सदस्य संरचना के रूप में ही होता है, जिसमें राज्य निर्वाचन आयुक्त ( राज्य चुनाव आयुक्त ) होते हैं। प्रत्येक राज्य का निर्वाचन आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष होता है। राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है।भारत देश मे सभी राज्यों में निर्वाचन आयोग का नेतृत्व राज्य निर्वाचन आयुक्त करता है।कुछ राज्यों में उप निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के प्रावधान भी हैं,जैसे पंजाब राज्य में अधिकांश राज्यों में एक सेवानिवृत्त प्रशासनिक सेवाक या एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को ही निर्वाचन आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243- "ट" के अनुसार राज्य निर्वाचन आयेग में राज्यपाल द्वारा नियुक्त एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा ।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति या प्रक्रिया से और उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकेगा जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के मामले में निर्धारित है।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त ( Rajya nirvachan aayukt) की सेवा शर्तों में नियुक्ति के पश्चात् उसके लिए अलाभकारी परिवर्तन नहीं किए जायेंगे ।
- यह भी उपबन्ध है कि जब राज्य निर्वाचन आयोग ऐसे अनुरोध करे तब उसे अपने कर्तव्यों के निर्वहन के लिए राज्यपाल द्वारा आवश्यक कर्मचारी उपलब्ध कराये जाएँगे ।
राज्य निर्वाचन आयुक्त (State Election Commissioner) के महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य
राज्य निर्वाचन आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष होता है
राज्य निर्वाचन आयोग का अध्यक्ष राज्य निर्वाचन आयुक्त होता है।भारत देश के सभी राज्यों में राज्य निर्वाचन आयोग का गठन एक सदस्य संरचना के रूप में ही होता है, जिसमें राज्य के निर्वाचन आयुक्त (Rajya Nirvachan Aayukt) होते हैं।
राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कौन करता है
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 K / 243- "ट" के अनुसार (Rajya nirvachan aayukt ) राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती हैं ।
राज्य निर्वाचन आयुक्त की योग्यता या अहर्ता
राज्य निर्वाचन आयुक्त की योग्यता या अहर्ता निम्नलिखित है :
- राज्य निर्वाचन आयुक्त ( Rajya nirvachan aayukt) की योग्यताओं एवं अहर्ताओं का वर्णन संविधान में नहीं है लेकिन सामान्यतः भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी होते हैं ।
- राज्य के निर्वाचन आयुक्त के सहयोग के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी आयोग के सचिव के रूप में कार्य करते हैं ।
राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल
राज्य के निर्वाचन आयुक्त की सेवा शर्ते एवं पदावली राज्य का राज्यपाल द्वारा निर्धारित की जाती है। नियुक्ति के बाद सेवा शर्तों में ऐसा कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा जिससे उसका किसी भी प्रकार से नुकसान हो। भारतीय संविधान मैं राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यकाल का वर्णन नही है। वास्तविक स्थिति पद ग्रहण की तारीख से 6 वर्ष की अवधि या 65 वर्ष की आयु ( जो भी पहले हो ) तक होती है ।
राज्य निर्वाचन आयुक्त की पदमुक्ति
राज्य निर्वाचन आयुक्त को राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समक्ष दर्जा प्राप्त होता है। राज्य का निर्वाचन आयुक्त किसी भी समय अपना त्यागपत्र राजपाल को दे सकता है ।या उन्हें कार्यकाल समाप्त होने पर के पूर्व भी हटाया जा सकता है उसे राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त के वेतन भत्ते
- वेतन भत्ते व अन्य अनुलाभ तथा सेवा की शर्तें पूर्व निर्धारित होती हैं और नियुक्ति के पश्चात कोई आलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता ।
- इसके अतिरिक्त Rajya nirvachan aayukt राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति के पश्चात् उसकी सेवा शर्ते तथा वेतन आदि में कोई अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकेगा ।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त का वेतन राज्य की संचित निधि पर भारित होता है ।
- राज्य निर्वाचन आयुक्त , राज्यपाल के प्रसाद पर्यंत पद पर नहीं होते हैं ।
राज्य निर्वाचन आयुक्त का त्यागपत्र
राज्य निर्वाचन आयुक्त ( Rajya nirvachan aayukt) किसी भी समय अपना त्यागपत्र राज्य के राज्यपाल को दे सकते हैं ।
राज्य निर्वाचन आयुक्त का निष्कासन
राज्य निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर ही हटाया जाएगा जिस रीति एवं आधारों पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है (संसद में महाभियोग की प्रक्रिया से राष्ट्रपति द्वारा) राज्य के निर्वाचन आयुक्त को राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समक्ष दर्जा प्राप्त होता है। राज्य का निर्वाचन आयुक्त किसी भी समय अपना त्यागपत्र राजपाल को दे सकता है ।या उन्हें कार्यकाल समाप्त होने पर के पूर्व भी हटाया जा सकता है। उसे राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया द्वारा ही हटाया जा सकता है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त को कौन हटा सकता है ?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 - ट / 243 - K के अनुसार राज्य निर्वाचन आयेग में राज्य के राज्यपाल के द्वारा राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की जाती है,राज्य के निर्वाचन आयुक्त को उसके पद से पद मुक्ति उसी रीति से और उन्हीं आधारों पर हटाया जा सकेगा जो उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के मामले में निर्धारित है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्य एवं शक्तियां
निर्वाचन या चुनाव संबंधी कार्य संचालन की शक्तियों के संदर्भ में जो अधिकार राष्ट्रीय स्तर पर भारत के निर्वाचन आयोग के पास हैं, वही अधिकार राज्य में राज्य निर्वाचन आयोग के पास है । पंचायत व नगर पालिका संबंधी निर्वाचन या चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयुक्त को निम्नलिखित शक्तियां एवं कार्य प्राप्त है।
- पंचायत व नगरपालिका संबंधी निर्वाचन के लिए निर्वाचक नामावली तैयार करना जिसमें मतदाता सूची में नाम जोड़ना , हटाना एवं प्रकाशन करना आदि ।
- पंचायत एवं एवं नगर पालिकाओं संबंधित चुनावों की तिथियां घोषित करना।
- नामांकन पत्रों का परीक्षण करना।
- चुनाव चिन्ह आवंटित करना।
- मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों को प्रारूप प्रकाशन एवं अंतिम प्रकाशन के पश्चात अर्थात दो बार फोटोयुक्त मतदाता सूची उपलब्ध कराई जाती है ।
- मतदाता जागरूकता का विज्ञापन प्रकाशन करना ।
- स्थानीय महत्वपूर्ण सामाजिक व्यक्तियों को मतदाता जागरूकता की अपील करना ।
- निर्वाचन की गतिविधियों की सतत जानकारी देने के लिए पृथक प्रकोष्ठ की स्थापना एवं नोडल अधिकारी की नियुक्ति करना ।
- निर्वाचन के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण करना ।
- पंचायत व नगरपालिका संबंधी चुनावों की तिथियाँ घोषित करना ।
- आचार संहिता का निर्माण एवं उसका पालन करवाना
- राज्य निर्वाचन आयोग के अनुरोध करने पर उस राज्य का राज्यपाल राज्य निर्वाचन आयोग को अपने कर्तव्यों के निर्वहान के लिए आवश्यकता पड़ने पर उतने आवश्यक कर्मचारी उपलब्ध कराएगा जितने राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपी गए कार्यों के लिए आवश्यक हो ।
- मतदान का प्रबंधन करना ।
- उम्मीदवारों का नामांकन तथा उन्हें चुनाव चिन्हों का आवंटन करना ।
- मतगणना संबंधी कार्य, चुनाव परिणामों की घोषणा करना ।
- मतदान केन्द्र लूटना, हिंसा व अन्य अनियमितताओं के आधार पर निर्वाचन रद्द करना ।