निर्वाचन आयोग के कार्य एवं निर्वाचन आयोग की शक्तियां
भारत निर्वाचन आयोग के कार्य एवं शक्तियां :- इस लेख में हम (भारत चुनाव आयोग)भारत निर्वाचन आयोग के कार्य एवं भारत निर्वाचन आयोग की शक्तियां कौन-कौन सी हैं की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग का कार्य तथा कार्यप्रणाली और निर्वाचन आयोग की शक्तियां मुख्य रूप से तीन श्रेणियां में बांटी गई है- 1 प्रशासनिक श्रेणी से संबंधित कार्य एवं शक्तियां, 2 सलाहकारी या परामर्शकारी श्रेणी से संबंधित कार्य एवं शक्तियां, 3 अर्द्ध न्यायिक श्रेणी से संबंधित कार्य एवं शक्तियां।
- निर्वाचन आयोग ( Election commission), जिसे चुनाव आयोग या भारतीय निर्वाचन आयोग (Election commission Of India) के नाम से भी जाना जाता है।
- यह आयोग एक स्वतंत्र एवं संवैधानिक निकाय या संस्था है।
- भारत निर्वाचन आयोग का गठन भारत के संविधान द्वारा देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के उद्देश्य से किया गया है।
- यह एक संवैधानिक निकाय या संस्था है,जो भारत में संघ और राज्य क्षेत्रों के चुनाव प्रक्रियाओं का निष्पक्ष संचालन करना एवं निष्पक्ष देखरेख करना है।
- यह देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन या चुनाव का संचालन करता है।
- भारत के संविधान के भाग 15 अनुच्छेद 324 के अनुसार संसद ,राज्य विधानमंडल, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के निर्वाचन या चुनाव के लिए संचालन, निर्देशन और नियंत्रण की जिम्मेदारी भारत निर्वाचन आयोग या चुनाव आयोग की होती है।
- भारत चुनाव आयोग के पास विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपति आदि चुनाव से सम्बंधित शक्तियां प्राप्त होती है।
निर्वाचन आयोग के कार्य : निर्वाचन आयोग की शक्तियां
भारत निर्वाचन आयोग के कार्य एवं भारत निर्वाचन आयोग की शक्तियां :-भारत के संविधान के भाग 15 अनुच्छेद 324 के अनुसार देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन या चुनाव के संचालन के लिए चुनाव आयोग या भारत निर्वाचन आयोग के कार्य एवं निर्वाचन आयोग शक्तियां को तीन श्रेणियों में बांटा गया है
- प्रशासनिक शक्तियां
- सलाहकारी शक्तियां या परामर्शकारी शक्तियां
- अर्द्ध न्यायिक शक्तियां
1- निर्वाचन आयोग की प्रशासनिक शक्तियां
भारत निर्वाचन आयोग की प्रशासनिक शक्तियां एवं प्रशासनिक शक्तियों के अंतर्गत निर्वाचन आयोग के कार्य :-भारत के संविधान के भाग 15 अनुच्छेद 324 के अनुसार देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन या चुनाव के संचालन के लिए चुनाव आयोग या भारत निर्वाचन आयोग को प्रशासनिक शक्तियां प्राप्त होती है। प्रशासनिक शक्तियों के अंतर्गत चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग के कार्य निम्नलिखित हैं ::
- समस्त भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनावी तंत्र का पर्वेक्षण करना।
- आयोग चुनाव कार्यप्रणाली का सर्वेक्षण करता है और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को संपन्न कराना सुनिश्चित करता है |
- चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, संसद, राज्य विधानसभा या राज्य विधान परिषद के निर्वाचन चुनाव का पर्यवेक्षण, निर्देशन तथा आयोजन करवाता है।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना एवं उन्हें निर्वाचन चिन्ह आवंटित करना या प्रदान करना।
- निर्वाचन के समय राजनीतिक दलों एवं उम्मीदवारों के लिए आचार संहिता निर्मित करना।
- निर्वाचन कराने के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता के बारे में राष्ट्रपति या राज्यपाल से निवेदन या आग्रह करना ।
- निर्वाचन की तिथि और समय सारणी निर्धारित करना एवं नामांकन पत्रों का परीक्षण करना ।
- भारत के संविधान के अधीन संसद और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण, का कार्य चुनाव या निर्वाचन आयोग करता है ।
- निर्वाचन आयोग प्रमुख कार्य परिसीमन आयोग अधिनियम 1952 के आधार पर समस्त भारत के निर्वाचन क्षेत्रों या चुनाव क्षेत्रों के भूभाग का परिसीमन करवाना।
- चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूचियों को तैयार करवाना।
- चुनाव आयोग मतदाताओं का पंजीकरण करवाता है।
- चुनाव आयोग निर्वाचक नामावली तैयार करवाता है।
- चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों का पंजीकरण करता है और सभी राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करता है ।
- चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को आरक्षित चुनाव चिह्न प्रदान करना ।
- चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों के लिए आचार संहिता तैयार करता है ।आयोग द्वारा लागू आचार संहिता का पालन न करने वाले प्रत्याशियों तथा राजनीतिक दलों के विरूद्ध आयोग आवश्यक कार्यवाही भी कर सकता है।
- चुनाव आयोग द्वारा सभी राजनीतिक दलों का राष्ट्रीय स्तर पर एवं राज्य स्तर पर वर्गीकरण किया जाता है।
- चुनाव आयोग निर्वाचन या चुनावों में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किये गए प्रदर्शन के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय दलों का दर्जा प्रदान करता है।
- चुनाव आयोग गलत निर्वाचन उपायों का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को निर्वाचन के लिये अयोग्य घोषित करता है।
- चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचन या चुनाव चिन्ह प्रदान करना।
- चुनाव आयोग द्वारा नामांकन पत्रों का परीक्षण करने के साथ-साथ निर्वाचन या चुनाव तिथि एवं समय सारणी का निर्धारण भी किया जाता है।
- चुनाव आयोग के द्वारा प्रचार हेतु रेडियो टीवी की कार्यक्रम सूची भी तैयार की जाती है।
- चुनाव आयोग के समय में कर्मचारियों की आवश्यकता को लेकर संघ में राष्ट्रपति और राज्य में राज्यपाल से आग्रह करता है।
- चुनाव आयोग के द्वारा मतदान केंद्र पर मतदान के दौरान हुई कोई भी घटना जैसे मतदान केंद्र लूट, हिंसा व अनियमितता व दुरूपयोग,आदि के कारण किसी निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन को या किसी निर्वाचन क्षेत्र के मतदान को रद्द करने का अधिकार रखता है।
- चुनाव आयोग निर्वाचक नामावलियों में समय समय पर उनमें सुधार करता है। और सभी योग्य मतदाता को पंजीकृत करना
- चुनाव आयोग निर्वाचन कार्यक्रम या चुनावों कार्यक्रम को निर्धारित करता है और उसे अधिसूचित करता है।
- चुनाव आयोग चुनाव हेतु प्रत्याशियों के नामांकन स्वीकार करता है ।
- चुनाव आयोग राजनीतिक दलों को दूरदर्शन व रेडियो पर अपनी नीतियों व कार्यक्रमों के प्रचार के लिए समय सीमा का निर्धारण करता है ।
- चुनाव आयोग सुनिश्चित करता है कि आदर्श आचार संहिता का सभी दलों व प्रत्याशियों द्वारा पालन किया जाये।
- चुनाव आयोग चुनाव कार्यप्रणाली (Election procedure) का सर्वेक्षण करता है और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव को संपन्न कराना सुनिश्चित करता है ।
- चुनाव आयोग निर्वाचन या चुनाव की तिथि और सारणी को निर्धारित करता है एवं नामांकन पत्रों का निरीक्षण करता है।
- चुनाव आयोग चुनाव हेतु प्रत्याशियों के नामांकन स्वीकार करता है उनकी जाँच करता है।
- चुनाव आयोग सुनिश्चित करता है कि आदर्श आचार संहिता का सभी दलों व प्रत्याशियों द्वारा पालन किया जाये।
- संसद और राज्य विधानमण्डलों के निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराना एवं निर्वाचन कराना।
- राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचनों का अधीक्षण निदेशन और नियन्त्रण करना और निर्वाचन कराना।
- निर्वाचन आयोग या चुनाव आयोग अपने कार्यों के सम्बन्ध में प्रतिवेदन समय-समय पर सरकार को देता है।
- निर्वाचन सामग्री का प्रबन्ध करना, जैसे- मतपत्र, मतदान पेटी, स्याही, मोहर आदि की व्यवस्था ।
- अभिकर्त्ता व्यवस्था का निर्धारण करता है।
- मतदान व्यवस्था का निर्धारण करता है।
- गणना और परिणाम की उद्घोषणा करता है।
2. निर्वाचन आयोग की सलाहकारी शक्तियां या परामर्शकारी शक्तियां
भारत निर्वाचन आयोग की सलाहकारी शक्तियां या परामर्शकारी शक्तियां एवं सलाहकारी शक्तियों या परामर्शकारी शक्तियों के अंतर्गत निर्वाचन आयोग के कार्य :- भारत के संविधान के भाग 15 अनुच्छेद 324 के अनुसार देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन या चुनाव के संचालन के लिए चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग को सलाहकारी शक्तियां या परामर्शकारी शक्तियां प्राप्त होती है।सलाहकारी शक्तियां या परामर्शकारी शक्तियां के अंतर्गत निर्वाचन आयोग के कार्य निम्नलिखित है ::
- चुनाव आयोग चुनाव याचिकाओं के सम्बन्ध में सरकार को आवश्यक परामर्श देता है।
- यह राष्ट्रपति को इस सम्बन्ध में सलाह देता है कि किसी राज्य में चुनाव कराये जा सकते है या नहीं।
- निर्वाचन आयोग का प्रमुख कार्य सांसद या विधायक की अयोग्यता के लिए राष्ट्रपति और राज्यपाल को सलाह देता है।
- चुनाव आयोग के द्वारा केंद्र में संसद सदस्यों की निर्हरता या अयोग्यता संबंधी मामलों पर राष्ट्रपति को सलाह दी जाती है एवं राज्य में विधान परिषद के सदस्यों के निर्हरता या अयोग्यता के संबंध में राज्यपाल को सलाह दी जाती है।
- चुनाव आयोग के द्वारा राष्ट्रपति शासन वाले राज्य में 1 वर्ष बाद चुनाव करवाने की सलाह राष्ट्रपति को देना और चुनावी तंत्र का पर्यवेक्षण करना।
- विधान परिषदों के सदस्यों की निहर्ता या अयोग्यता से संबंधित मसलों पर या विवादों पर राज्यपाल को परामर्श देना या सलाह देना
- संसद सदस्यों की निहर्ता या अयोग्यता से संबंधित मामलों पर या विवादों पर राष्ट्रपति को सलाह देना या परामर्श देना।
- निर्वाचन या चुनाव के समय में कर्मचारियों की आवश्यकता को लेकर संघ में राष्ट्रपति और राज्य में राज्यपाल से आग्रह करता है।
3. निर्वाचन आयोग की अर्द्ध न्यायिक शक्तियां
भारत निर्वाचन आयोग की अर्द्ध न्यायिक शक्तियां एवं अर्द्ध न्यायिक शक्तियों के अंतर्गत निर्वाचन आयोग के कार्य :-भारत के संविधान के भाग 15 अनुच्छेद 324 के अनुसार देश में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन या चुनाव के संचालन के लिए चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग को अर्द्ध न्यायिक शक्तियां प्राप्त होती है। अर्द्ध न्यायिक शक्तियां के अंतर्गत चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग के कार्य निम्नलिखित हैं :
- निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों की पहचान और चुनाव चिन्ह से सम्बंधित विवादों में न्यायालय की भूमिका निभाता है।
- विवाद होने की स्थिति उत्पन्न होने पर निर्वाचन आयोग एक न्यायालय की तरह कार्य करता है अर्थात चुनाव आयोग के पास अर्ध न्यायिक शक्तियां प्राप्त होती हैं।
- चुनाव आयोग निर्वाचन व्यवस्था से सम्बंधित विवादों की जाँच के लिए अधिकारियों की नियुक्ति करता है।
- चुनाव आयोग द्वारा निर्वाचन प्रकिया से सम्बंधित विवाद की जांच परख के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है।
- संसद तथा राज्य विधानमण्डलों के निर्वाचन सम्बन्धी सन्देहो और विवादों के निर्णय के लिए निर्वाचन अधिकरण या अधिकारी की नियुक्ति करना ।
- मान्यता प्राप्त राजनीति दलों को आरक्षित चुनाव चिन्ह प्रदान करना और इस पर विभिन्न राजनीतिक दलों के मध्य विवादों का निपटारा आयोग ही करता है।
- निर्वाचन व्यवस्था से संबंधित विवाद की जांच के लिए अधिकारी नियुक्त करना।
- राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और चुनाव चिन्ह देने के मामलों में हुए विवाद के समाधान के लिए न्यायालय की तरह कार्य करना।
ऊपर उल्लिखित किए गए चुनाव आयोग या निर्वाचन आयोग के सभी कार्यों के क्रियान्वयन के लिए विधिक अधिनियमों के अंतर्गत निर्वाचन आयोग की शक्तियां निम्नलिखित हैं
लोक प्रतिनिधत्व अधिनियम -1950 :-
इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रावधानों का अनुसरण किया जायेगा उनका उल्लेख है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम- 1951 :-
इस अधिनियम के अन्तर्गत चुनाव हेतु मतदान हो जाने के बाद किन प्रावधानों का अनुसरण किया जायेगा इसके सम्बन्ध में प्रावधान किया गया है।
परिसीमन आयोग अधिनियम- 1952 :-
इस अधिनियम के अन्तर्गत चुनाव क्षेत्रों के सीमांकन से सम्बन्धित प्रावधान हैं।
कैप्टन चावला सिंह बनाम भारत का निर्वाचन आयोग, 1992 के बाद में न्यायालय ने धारित किया कि निर्वाचन व्ययों का ऐसा लेखा आयोग द्वारा निर्धारित या विहित रीति में ही प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है। अभ्यथ्र्ाी उसे किसी भी रूप में नहीं पेश कर सकता है। धारा 146 में निर्वाचन आयोग को जांच के विषय में सिविल न्यायालय की निम्नांकित शक्तियां प्रदत्त की गयी हैं-
- किसी व्यक्ति को साक्ष्य हेतु समन करना,
- कोई दस्तावेज या अभिलेख मँगवाना,
- उसका शपथ पर परीक्षण करना,
- शपथ पत्र पर साक्ष्य प्राप्त करना,
- साक्षियों या दस्तावेजों की परीक्षा के लिये कमीशन निकालना, आदि।
नन्दलाल शर्मा बनाम निर्वाचन आयोग (1984) के वाद में न्यायालय ने कहा कि जाँच में निर्वाचन आयोग का कर्तव्य होता है कि वह पक्षकारों को सुनवायी व दस्तावेज प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करें। यदि आयोग द्वारा ऐसा अवसर प्रदान कर दिया जाता है, तो फिर जाँच में उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं रह जाती है।
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमने भारत निर्वाचन आयोग के कार्य एवं भारत निर्वाचन आयोग की शक्तियां कौन-कौन सी होती हैं से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है।अगर आपको यह लेख एक अच्छा एवं उपयोगी लगा हो तो अपने दोस्तों एवं परिवार में अवश्य शेयर करें,धन्यवाद
Thanks
Rajendra Thakur
Last update
06/03/2024