चंबल | Chambal | MP River notes
चम्बल नदी (चंबल नदी) के बारे में जानकारी
(चम्बल) चंबल नदी के बारे में जानकारी:- चम्बल नदी- चंबल नदी मध्य भारत में बहने वाली प्रमुख नदी है।चंबल नदी (Chambal river) यमुना नदी की एक प्रमुख उपनदी है।(चम्बल नदी )चंबल नदी की सहायक नदियां (नदियाँ) निम्न है- कालीसिंध नदी (कालीसिन्ध) क्षिप्रा नदी.सिंध नदी (सिन्ध), पार्वती नदी, कुनू नदी , बनास नदी,मेज नदी बामनी नदी ,सीप काली सिंध नदी ,छोटी कालीसिंध नदी ,कुनो नदी ,(कुननों) आदि। आज इस लेख में हम चंबल नदी की निम्नलिखित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे
चम्बल नदी (चंबल नदी) का इतिहास
चम्बल नदी (चंबल नदी) का इतिहास-चम्बल नदी (चंबल नदी) मध्य प्रदेश राज्य,राजस्थान राज्य और उत्तर प्रदेश राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। चम्बल नदी (चंबल नदी) का उद्गम स्थान जानापाव पर्वत या पहाड़ी,जानापाव की पहाड़ी जो महू जिला इंदौर, मध्यप्रदेश राज्य में स्थित है।चंबल नदी विंध्याचल पर्वत-श्रेणी-श्रंखला या रेंज से निकलती है।चंबल नदी "जानापाव पर्वत " महू से निकलती है।चंबल नदी दक्षिण में महू शहर के, (इंदौर) के पास, विन्ध्य (विंध्य) रेंज में मध्य प्रदेश में दक्षिण ढलान से होकर बहती है।चंबल नदी का प्राचीन नाम "चर्मण्वती " है।चंबल नदी 616 फिट ऊंचाई से निकलने वाली मध्य प्रदेश की दूसरी बड़ी नदी है। चंबल नदी का पौराणिक नाम धर्मावती है।
- चंबल नदी मध्य प्रदेश राज्य के इंदौर रतलाम धार उज्जैन नीमच मंदसौर भिंड मुरैना,जिलों से होकर बहती है।
- "चंबल नदी" भारत में उत्तर तथा उत्तर-मध्य भाग में राजस्थान के कोटा तथा धौलपुर, जिलों में बहती हुई इटावा के निकट चंबल नदी यमुना में मिलती है
- "Chambal river"दक्षिण की ओर मुड़ कर उत्तर प्रदेश राज्य में यमुना में शामिल होने के पहले राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच सीमा बनाती है।
- चंबल नदी उत्तर दिशा की और बहती है
- चंबल नदी (Chambal river) यमुना नदी की मुख्य सहायक नदियों में से एक है।
चम्बल (चंबल) नदी का उद्गम स्थल-स्थान
चम्बल (चंबल) नदी का अन्य नाम
- चंबल नदी का प्राचीन नाम "चर्मण्वती " है।
- चंबल नदी का पौराणिक नाम "धर्मावती " है।
- चंबल नदी का अन्य नाम "कामधेनु " है।
- चंबलनदी का अन्य नाम कामधेनु बारहमासी नदी है।
- चंबलनदी काअन्य नाम नित्यवाही नदी है।
चम्बल (चंबल) नदी की कुल लंबाई
चम्बल (चंबल) नदी की कुल लंबाई 965 किलोमीटर है।मध्य प्रदेश में चम्बल नदी (चंबल नदी) की लंबाई 315 किलोमीटर है। राजस्थान में चम्बल नदी (चंबल नदी) की लंबाई 135 किलोमीटर है।
चम्बल (चंबल) नदी की सहायक नदियां-नदियाँ
चम्बल (चंबल) नदी की सहायक नदियां-नदियाँ निम्नलिखित हैं:
- कालीसिंध नदी (कालीसिन्ध).
- क्षिप्रा नदी.
- सिंध नदी (सिन्ध),
- पार्वती नदी,
- कुनू नदी,
- बनास नदी,
- मेज नदी,
- बामनी नदी ,
- सीप काली सिंध नदी ,
- छोटी कालीसिंध नदी ,
- कुनो नदी , (कुननों)
- ब्राह्मणी नदी,
- परवन नदी,
- पार्वती,
- बामणी,
- कुराल ,
- गुजाली,
- ईज,
- चाकण,
चम्बल (चंबल) नदी पर स्थित चूलिया जलप्रपात
- Chambal River-चंबल नदी पर बनने वाला प्रमुख जलप्रपात चूलिया जलप्रपात है।
- चूलिया जलप्रपात की ऊंचाई 18 मीटर है।
- प्रसिद्ध चूलिया जल प्रपात चम्बल (चंबल) नदी चित्तौड़गढ़ मे है।
- यह राजस्थान का सबसे ऊंचा जलप्रपात है।
- चूलिया जलप्रपात की लंबाई कुल लम्बाई 135 मीटर है।
- राजस्थान का तीसरा सबसे बड़ा जलप्रपात जिला कोटा, राज्य की एकमात्र बारहमासी नदी चंबल नदी के किनारे स्थित है।
- यह जलप्रपात राजस्थान के कोटा जिले में चम्बल नदी। चंबल नदी पर स्थित है।
चम्बल (चंबल) नदी राजस्थान के कितने जिलों में बहती है
- चितौड़गढ़,
- बूंदी,
- कोटा,
- सवाई_माधोपुर,
- करौली,
- धौलपुर
चंबल नदी मध्य प्रदेश के कितने जिलों में बहती है
मध्य प्रदेश राज्य :चंबल नदी मध्य प्रदेश राज्य के 6 जिलो में बहती है जो निम्नलिखित हैं।
- धार,
- उज्जैन,
- रतलाम,
- मन्दसौर,
- भिंड,
- मुरैना
चम्बल (चंबल) नदी भारत के कुल कितने राज्यों में बहती है?
चम्बल (चंबल) नदी पर बसे हुए प्रमुख तटीय नगर
- रतलाम
- महू
- श्योपुर
- मुरैना
चम्बल (चंबल) नदी पर बने हुए बांध एवं 4 जल विधुत परियोजना
चम्बल (चंबल) नदी पर 4 बांध बने हुए हैं। और इन बांधो पर चार जल विधुत परियोजना संचालित है
- गांधी सागर बांध (मंदसौर)मध्य प्रदेश राज्य,
- राणा प्रताप सागर (रावतभाटा)चित्तौड़गढ़ , राजस्थान राज्य,
- जवाहर सागर बांध (बूंदी),राजस्थान राज्य,
- कोटा बेराज (कोटा) , राजस्थान राज्य,
चंबल घाटी परियोजना के अंतर्गत चम्बल नदी पर कुल 4 बांध बने हुए है। चंबल नदी घाटी परियोजना भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना है।राजस्थान राज्य मे चंबल नदी पर 100 किलो मीटर के दायरे में 3 बांध बने हुए है। (1) राणा प्रताप सागर बांध , (2)जवाहर सागर बांध,(3) कोटा बैराज बांध।चम्बल नदी पर एक बांध मध्य प्रदेश राज्य में है जो गाँधी सागर बांध है।इस तरह चंबल नदी घाटी परियोजना में मुख्य रूप से 4 बांध बने हुए है। जो निम्नलिखित है:
चंबल नदी घाटी परियोजना
- गांधी सागर बांध (मंदसौर)मध्यप्रदेश राज्य,
- राणा प्रताप सागर (रावतभाटा)चित्तौड़गढ़ , राजस्थान राज्य,
- जवाहर सागर बांध (बूंदी),राजस्थान राज्य,
- कोटा बेराज (कोटा) , राजस्थान राज्य.
चंबल नदी घाटी परियोजना से राजस्थान राज्य और मध्यप्रदेश राज्य मे सिंचाई और मिट्टी सरंक्षण हुआ है। इसकी सिंचाई क्षमता 5 लाख हेक्टेयर है। जल विधुत 386 मेगावाट है। चम्बल परियोजना तीन चरणो मे पुर्ण हुई थी।
- गान्धी सागर बांध विधुत क्षमता 115 mw
- राणा प्रताप सागर बांध विधुत क्षमता 172 mw
- जवाहर सागर बांध विधुत क्षमता 99 mw.
चंबल घाटी परियोजना समान्यता राजस्थान राज्य(50%) एवं मध्य प्रदेश राज्य (50%) की सयुंक्त परियोजना है। इसकी कुल विधुत उत्पादन क्षमता 386 मेगावाट है, जिसमे से 50% यानि की 193 मेगावाट राजस्थान राज्य को एवं इतनी ही मध्यप्रदेश राज्य को विधुत मिलती है।इस परियोजना के अंतर्गत 3 बाँध,5 बिजलीघर और एक बड़ा बैराज़ बनाया गया है।यह परियोजना राजस्थान व मध्यप्रदेश की संयुक्त परियोजना हैं। जिसमें 50-50 % की भागीदारी हैं। चम्बल व माही नदी दक्षिण से प्रवेश करती हैं।चंबल घाटी परियोजना राजस्थान और मध्य प्रदेश का संयुक्त उपक्रम है। इसकी शुरुआत 1954 में चंबल नदी (यमुना की मुख्य सहायक नदी) पर हुई थी। परियोजना का उद्देश्य सिंचाई, बिजली उत्पादन और घाटी में मिट्टी के कटाव की रोकथाम और नियंत्रण के लिए चंबल नदी का उपयोग करना है।
चंबल नदी घाटी परियोजना में कुल विद्युत उत्पादन :-
- जवाहर सागर बांध – 99 मेगावाट
- राणाप्रताप सागर बांध – 115 मेगावाट
- गांधी सागर बांध – 172 मेगावाट
- मेगावाट कुल उत्पादन – 386 मेगावाट
- इसमें मध्यप्रदेश राज्य एवं राजस्थान राज्य को 50%
- 386 / 2 =193 मेगावाट प्राप्त होता हैं।
राजस्थान राज्य में चंबल नदी घाटी परियोजना प्रारम्भ
चंबल नदी घाटी परियोजना का प्रारंभ तीन चरणों में हुआ है जो निम्नानुसार है
प्रथम चरण में : 'गाँधी सागर बाँध' का निर्माण
'गाँधी सागर बाँध' : चम्बल परियोजना के प्रथम चरण में 'गाँधी सागर बाँध',Chambal River-चंबल नदी पर बना गांधी सागर डैम- बांध भारत के चार प्रमुख डैमों में से एक है। गाँधी सागर बाँध बांध मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित है।इसका जलग्रहण क्षेत्र 22.184 कि,मी है सकल भंडारण की क्षमता 7.322 बिलियन क्यूबिक मीटर है। बांध की ऊंचाई 62.17 मीटर है।
- गांधीसागर बांध जिला मुख्यालय से 168 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
- गांधीसागर बांध का निर्माण चंबल नदी पर किया गया है।
- जिले में गांधी सागर बांध / पावर स्टेशन के निर्माण का आधारशिला प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा 7 मार्च, 1954 को रखी गई थी।
- गाँधी सागर बाँध 1960 में मध्यप्रदेश की भानुपुरा तहसील में बनाया गया है।
- गांधीसागर बांध बांध चैरासीगढ़ से 8 कि.मी. पहले एक घाटी में बना हुआ है।
- गांधीसागर बांध से 2 नहरें निकाली गई है।
- बाईं नहर – बुंदी तक जाकर मेेज नदी में मिलती है।
- दांयी नहर – पार्वत नदी को पार करके मध्यप्रदेश में चली जाती है यहां पर गांधी सागर विधुत स्टेशन भी है।
- गांधीसागर बांध परियोजना मध्य प्रदेश व राजस्थान की सरकार का सयुंक्त उपक्रम है।
- चंबल घाटी नदी परियोजना राजस्थान राज्य(50%) एवं मध्यप्रदेश राज्य (50%) की सयुंक्त परियोजना है।
- गाँधी सागर बाँध 510 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा तथा 64 मीटर ऊंचा है इसकी विद्युत क्षमता 115 मेगा वाट है
- गाँधी सागर बाँध का निर्माण चंबल परियोजना के तहत प्रथम चरण में हुआ था।
- गांधीसागर बांध बांध चंबल नदी पर बना सबसे बड़ा और सबसे पुराना बांध है।
- गांधी सागर बांध पर 23 मेगा वाट का एक जनरेटर लगाया गया है जिससे विद्युत उत्पन्न की जाती है
- चम्बल परियोजना भारत की नदी घाटी परियोजनाओं में से एक है।
द्वितीय चरण में : राणाप्रताप सागर बांध का निर्माण
राणाप्रताप सागर बांध :- राणाप्रताप सागर बांध का निर्माण चुलिया जलप्रपात के समीप चित्तौड़गढ़ जिले (राजस्थान राज्य) में स्थित भैंसरोड़गढ़ के पास चौरासीगढ़ के उत्तर में रावतभाटा में किया गया है।
चंबल घाटी नदी परियोजना पर निर्मित सबसे पहला बांध राणा – प्रताप सागर बांध है।यह बांध गांधीसागर बांध से 48 कि.मी. आगे चित्तौड़गढ़ में चुलिया जल प्रपात के समीप रावतभाटा नामक स्थान पर 1970 में द्वितीय चरण में बनाया गया था। चंबल नदी पर बना सबसे पहला बांध राजस्थान की सीमा में राणा – प्रताप सागर बांध है। राणा – प्रताप सागर बांध की भराव क्षमता 1157.50 फीट है। राणा – प्रताप सागर बांध बांध का लेवल 1156 फीट हो गया है।
- राणा – प्रताप सागर बांध का निर्माण 1970 में द्वितीय चरण में किया गया था ।यह चंबल नदी पर बना राज्य का सबसे बड़ा बांध है।
- राणा – प्रताप सागर बांध पर ही परमाणु बिजली घर की स्थापना कनाडा के सहयोग से की गई है
- यह यह बांध 1100 मीटर लंबा वह 36 मीटर ऊंचा है।
- इस बांध को फरवरी 1970 में राष्ट्र को समर्पित किया गया था ।
- इस बांध की विद्युत क्षमता 172 मेगा वाट है ।
- इस परियोजना का राजस्थान में चंबल नदी विकास की श्रंखला में दूसरा स्थान है।
- भराव क्षमता की दृष्टि से राणा प्रताप सागर बांध राज्य में सबसे बड़ा बांध है।
- यह बाधं 510 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा तथा 64 मीटर ऊंचा है इसकी विद्युत क्षमता 115 मेगा वाट है।
तीसरा चरण : तृतीय चरण: जवाहर सागर बांध का निर्माण
जवाहर सागर बांध :- जवाहर सागर बांध का निर्माण 1972 में तृतीय चरण में हुआ था।जवाहर सागर बांध को कोटा बांध भी कहते हैं। "जवाहर सागर बांध" राणा प्रताप सागर बांध से 38 कि.मी. आगे कोटा के बोरावास गांव में बना हुआ है। जवाहर सागर बांध पर एक विधुत शक्तिा ग्रह भी बनाया गया है।जवाहर सागर बांध चंबल नदी के पर एक बांध है। यह कोटा से लगभग 24 किमी (15 मील) दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। यह उन बांधों में से एक है जो राजस्थान और मध्य प्रदेश राज्य की चंबल घाटी परियोजना के तहत बनाए गए हैं।
- जवाहर सागर बांध 45 मीटर ऊंचा तथा 440 मीटर लंबा है ।
- जवाहर सागर बांध की विद्युत क्षमता 99 मेगावाट है।
- जवाहर सागर बांध चंबल नदी पर बना नया बांध है
- कोटा में स्थित, इससे जल-विद्युत उत्पादित होता हैं। इससे सिंचाई नहीं होती हैं।
- इस परियोजना का राजस्थान भाग से चंबल नदी के विकास की क्षमता में तीसरा हिस्सा है इस के व्यय व लाभ में राजस्थान तथा मध्य प्रदेश विद्युत बोर्ड का समान रूप से हिस्सा है
- "जवाहर सागर बांध योजना" योजना आयोग द्वारा 1962 में अनुमोदित कर दी गई थी तथा 60% फैक्टर की दर से 60.00की.वा. की सीमा तक कुल विद्युत उत्पादन करने का प्रावधान है।
- जवाहर सागर बांध परियोजना की कुल विद्युत क्षमता 386 मेगा वाट है इस परियोजना से राज्य को 193 मेगा वाट विद्युत प्राप्त होती है
कोटा बैराज बांध (कोटा बेराज (कोटा))
कोटा बैराज बांध : कोटा बैराज बांध का निर्माण वर्ष 1960 में पहले चरण में हुआ था। कोटा बैराज बांध की भराव क्षमता 854 फीट है।यह बांध कोटा में बना हुआ है।कोटा बैराज बांध से सिंचाई के लिए नहरे निकली गई हैं।कोटा बैराज बांध बांध के पास कोटा ताप विद्युत घर स्थापित किया गया है ।इस बांध से दो नहरें निकाली गई है,जिसमें से दाई नहर राजस्थान( कोटा बारा) व मध्य प्रदेश दोनों ने सिंचाई करती है।यह 124 किलोमीटर राजस्थान में तथा 248 किलोमीटर मध्य प्रदेश में है । इस परियोजना से पूर्वी जिलों को सर्वाधिक लाभ प्राप्त होता है। दाई मुख्य नहर पर कुल 8 लिफ्ट नहरे बनी हुई है।बाई नहर राजस्थान में सिंचाई के काम आती है जिसकी लंबाई 178 किलोमीटर है।
दायीं नहर – पार्वती व परवन नदी को पार करके मध्यप्रदेश में चली जाती है।
बायी नहर – कोटा, बुंदी, टोंक, सवाई माधोपुर, करौली मं जलापूर्ति करती है।
कनाडा की अंतराष्ट्रीय विकास एजेंसी के सहयोग से चंबल कमांड क्षेत्र में राजस्थान कृषि ड्रेनेज अनुसंधान परियोजना चलाई गई है इस परियोजना से कोटा बूंदी जिले में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हुई है।
चम्बल (चंबल) नदी का अपवाह तंत्र या क्षेत्र
चम्बल (चंबल) नदी का अपवाह तंत्र या क्षेत्र 19,500 वर्ग किलोमीटर हैं।चम्बल के अपवाह क्षेत्र में चित्तौड़, कोटा, बूँदी, सवाई माधौपुर, करौली, धौलपुर इत्यादि इलाके शामिल हैं।सवाई माधोपुर, करौली व धौलपुर से गुजरती हुई राजस्थान व मध्यप्रदेश की सीमा बनाती हुए चलती है जो कि 252 किलोमीटर की है।
चम्बल (चंबल) नदी का मुहाना
चम्बल (चंबल) नदी का मुहाना यमुना नदी में मिलकर होता है। चंबल नदी उत्तर प्रदेश में बहते हुए 965 किलोमीटर की दूरी तय करके यमुना नदी में मिल जाती है। चंबल नदी उतरप्रदेश के इटावा जिले के मुरादगंज के पास यमुना में मिलती है।
Thanks : Rajendra Thakur