बच्चों की परवरिश कैसे करें
बढ़ते बच्चों की परवरिश कैसे करें
बच्चों की परवरिश कैसे करें :-अधिकतर पेरेंट्स के लिए परवरिश का अर्थ केवल अपने बच्चों की खाने-पीने, पहनने-ओढ़ने और रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना है।वर्तमान समय में प्रत्येक माता-पिता निम्न प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए इच्छुक रहते है जैसे कैसे करें बढ़ते बच्चों की परवरिश ? बच्चों की परवरिश कैसे की जाए ? बच्चों को अनुशासन कैसे सिखाएं ? बच्चों की बाल्यावस्था पर माता-पिता की परवरिश का प्रभाव कैसा होना चाहिए?आधुनिक जीवन शैली का बच्चों की परवरिश पर प्रभाव?(बच्चों)बालिका व बालक के लिए उसके माता-पिता क्या होते है?(बालिका व बालक)बच्चों के विकास में पिता व माता की भूमिका? बेटे और बेटियों की परवरिश कैसे की जाए?बच्चों के प्रति माता-पिता के कर्तव्य? बच्चों के प्रति माता-पिता की जिम्मेदारी क्या होती है? बच्चों की अच्छी परवरिश में माता-पिता का व्यवहार कैसा होना चाहिए? इन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए वे इच्छुक रहते हैं।
प्रत्येक माता-पिता बच्चों के पथप्रदर्शक होते हैं।बच्चे वह नहीं सीखते जो आप कहते हैं, वे वही सीखते हैं जो आप करते हैं।इस तरह से वे अपने दायित्व से तो मुक्त हो जाते हैं लेकिन क्या वे अपने बच्चों को अच्छी आदतें और संस्कार दे पाते हैं जिनसे वे आत्मनिर्भर और जिम्मेदार बन सकें। अक्सर पेरेंट्स इस बात को लेकर परेशान रहते हैं कि हम अपने बच्चों की परवरिश कैसे करें तो हम आपको बताते हैं कुछ तरीके जो आपकी मदद करेंगे और बच्चों की परवरिश में उपयोगी साबित होंगे।
1.उनके साथ क्वॉलिटी टाइम बिताएं
वर्किंग पेरेंट्स के साथ यह समस्या होती है कि उनके पास अपने बच्चों के साथ बिताने के लिए समय नहीं मिल पाता। ऐसे माता-पिता अपने वीकएंड्स अपने बच्चों के लिए रखें। और सामान्य दिनों में भी उनके क्रियाकलापों पर ध्यान दें कि वे क्या करते हैं, उनके दोस्त कौन हैं आदि। अगर कभी माता पिता बच्चों की परवरिश इस बात का ध्यान रखें तो उत्तम होगा।
2.उनके साथ दोस्ताना व्यवहार करें
बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि अब वह समय नहीं रहा जब माता-पिता ने जो कह दिया वही सही है। अब समय बदल गया है,बच्चे मुखर हो गए हैं। उनका अपना नज़रिया है। माता-पिता को यह करना है कि बच्चों के साथ बॉस या हिटलर की तरह नहीं बल्कि दोस्त बनकर रहें। आपका यह तरीका बच्चों को आपके करीब लाएगा। वे आपसे खुलकर बात कर पाएगें
3.आत्मनिर्भर बनाएं
बचपन से ही उन्हें अपने छोटे-छोटे फैसले खुद लेने दें। जैसे उन्हें डांस क्लास जाना है या जिम। फिर जब वे बड़ॆ होंगे तो उन्हें सब्जेक्ट लेने में आसानी होगी। आपके इस तरीके से बच्चों में निर्णय लेने की क्षमता का विकास होगा और वे भविष्य में चुनौतियों का सामना डट कर, कर पाएंगे।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
4. जिद्दी ना बनने दें
जो पेरेंट्स बच्चों की हर मांग को पूरा करते हैं उनके बच्चे जिद्दी हो जाते हैं। यदि बच्चे बेवजह जिद करते हैं जिन्हें पूरा नहीं किया जा सकता तो उन्हें प्यार से समझाएं कि उनकी मांग जायज नहीं है।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
5.गलत बातों पर टोकें
बढ़ती उम्र के साथ-साथ बच्चों की बदमाशियां भी बढ़ जाती है। जैसे - मारपीट करना, गाली देना, बड़ों की बात ना मानना आदि। ऐसी गलतियों पर बचपन से ही रोक लगा देना चाहिए ताकि बाद में ना पछताना पड़े।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
6.अपनी अपेक्षाएं ना थोपें
कुछ अतिमहत्वाकांक्षी पेरेंट्स अपनी अपेक्षाओं को बच्चों पर थोपने लगते हैं।माता-पिता का इस तरह का व्यवहार बच्चों की परवरिश मैं अच्छा नहीं होता है। जिससे बच्चे तनावग्रस्त हो जाते हैं और उनका स्वाभविक विकास नहीं हो पाता है। माता-पिता ऐसा ना करें क्योंकि बच्चा अपने साथ अपनी खूबियां लेकर आया है। उसे स्वाभाविक रूप से बढ़ने दें।
7.बच्चों के सामने अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें
बच्चे नाजुक मन के होते हैं। उनके सामने बड़े जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही वे सीखेंगे। सबसे पहले खुद अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें। सोच-समझकर शब्दों का चयन करें। आपस में एक दूसरे से 'आप' कहकर बात करें। धीरे-धीरे यह चीज़ बच्चे की बोलचाल में आ जाएगी।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
8.दूसरों की मदद के लिए प्रोत्साहन करना :
बच्चों को हमेशा दूसरे की मदद के लिए प्रोत्साहित करें। चाहे वह बूढ़े हो, कमज़ोर हो, बच्चें हो, गरीब हो या भूखे हो। ये सब समाज के वे लोग है, जिन्हे लोगों की मदद की आवश्यकता होती है। इनकी मदद करने से बच्चों में लोगों के प्रति मदद की भावना उत्पन्न होती है। बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
9.सीखने की प्रवृत्ति :
बच्चों को हमेशा नयी-नयी चीजें सिखने आदि के लिए प्रेरित करे।इसके लिए उन्हें मौका दे ताकि वे खुद से समस्यांओ को सुलझा सके और छोटी-छोटी चीजों के लिए परेशान न हो।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
10.जवाबदेही होना :
बच्चों को इस बात के लिए उनका समर्थन करे की उन्होंने, जो लिखा है, जो कार्य किया है, उसके प्रति वे जवाब देने में हिचकिचाए ना अर्थात वे बेझिजक उस प्रश्न का जवाब दे सके। ये एक Good Parenting Guidance करने का सबसे अच्छा तरीका हैऔर ऐसा करने के लिए उन्हें प्रेरित करे कि वह खुश रहें और Parents और Teachers से प्रसंशा प्राप्त करे।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
11.मार्गदर्शक की भूमिका :
बच्चों को मौका दे कि वह दूसरों की मदद कर सके और दूसरों का मार्गदर्शन भी कर सके इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की वह एक छोटा – सा प्रयास है या बड़ा।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
12.बच्चे के व्यवहार पर रखे नजर – Focus at Your Child’s Behaviour.:
जब बच्चा अकेला रहने लगे और अपने दोस्तों के साथ खेलना कूदना बंद कर दे, तो हो सकता है कि बच्चे के साथ कुछ बुरा हुआ हो। ऐसे में उससे खुल कर इस बारे में बात करें। बच्चों के व्यवहार में बदलाव आना भी उनके साथ होने वाले किसी तरह के शोषण के संकेत हो सकते हैं।वंही जब बच्चे की भूख मर जाये या वह पहले से ज्यादा खाने लग जाये, तो यह भी एक चिंता का संकेत है। इसके अलावा बच्चे का हमेशा डरा – डरा सा रहना या खुद पर से उसका आत्मविश्वास ख़त्म हो जाना भी चिंता का विषय है।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
13.खुलकर बात करें – Talk Openly.:
बच्चों से सभी विषयों पर खुलकर बात करें। स्कूल में होने वाले गतिविधियों के बारें में उनसे पूछें। बच्चे के दोस्त और शिक्षकों के बारे में भी बच्चे से पूछे। बच्चों को उसके शरीर के सभी अंगो के बारे में खुलकर बताएं।बच्चों को “Good Touch” और “Bad Touch” के बारे में जानकारी दें। उन्हें बताएं कि शरीर के कुछ Private Parts हैं उन्हें कोई भी नहीं छू सकता है। इससे उन्हें “Good Touch” और “Bad Touch” का सही ज्ञान होता है।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
14.स्कूल नियमित तौर पर जाएं – Visit School :
आपकी जिम्मेदारी बच्चों को स्कूल भेजने के बाद ख़त्म नहीं हो जाती, बल्कि उसके बाद और अधिक बढ़ जाती है। आपको अपने बच्चे के स्कूल हर हप्ते या महीने में दो बार जरूर जाने चाहिए।स्कूल में जाकर सिर्फ शिक्षकों से ही न मिले बल्कि अपने बच्चे के दोस्तों और उसके साथ पढ़ने वाले अन्य बच्चों से मिले और उनके व्यव्हार को भी समझे। साथ ही स्कूल के माहौल और वंहा की गतिविधियों पर भी गौर करे।देखे कि कंही आपका बच्चा किसी से डरा – डरा सा तो नहीं रहता। अगर ऐसा है तो अपने बच्चे से खुलकर बात करे। बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
15.ईश्वर में आस्था - Teach children gratitude and prayer
अपने बच्चे में यह संस्कार पैदा करना चाहिए की वो ईश्वर में विश्वास रखें। ईश्वर में आस्था रखने से सही काम करने की प्रेरणा मिलती हैं।उसको यह विश्वास दिलाइये की ईश्वर सब कुछ देखता हैं हमें अच्छे कर्म करना चाहिए।
16.डांटें या मारें नहीं
टीनएज में बच्चों के स्वभाव में अपने आप ही एक तरह की बगावत आ जाती है। इसलिए टीनएज में अगर बच्चे कोई गलती करते हैं, तो उन्हें डाटें या मारें नहीं। इस उम्र में डांट और मार का बच्चे की मानसिकता पर बुरा असर पड़ता है। अगर ऐसी कोई स्थिति आती है, तो उन्हें हमेशा प्यार से समझाने की कोशिश करें और अपने गुस्से को शांत रखें। कई बार आपका गलत समय या गलत जगह पर गुस्सा दिखाना भी बच्चे के मन में असंतोष बढ़ा सकता है, इसलिए बच्चों को समझाने के लिए सही समय का इंतजार करें।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
17.थोड़ी आजादी दें
आजादी का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि वो जो करना चाहें, आप उन्हें करने दें। मगर हां, अगर बच्चे कोई प्रयोग करना चाहते हैं या कुछ कंस्ट्रक्टिव करना चाहते हैं, तो आपको उसे थोड़ी आजादी देनी चाहिए। इसके अलावा इस उम्र में बच्चों के दोस्तों, गर्लफ्रैंड आदि के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए, ताकि वो आपको अपनी बात बताते रहें। अगर आप उन्हें इन चीजों के लिए डाटेंगे या झिड़केंगे, तो वो आपसे झूठ बोलना शुरू कर देंगे। अगर मां-बाप आजाद ख्याल होते हैं, तो बच्चे उन्हें अपना दोस्त समझने लगते हैं।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
18.साथ में थोड़ा समय बिताएं
टीनएज में बच्चों और पेरेंट्स के रिश्ते इसलिए खराब होते हैं क्योंकि दोनों एक दूसरे को समय नहीं देते हैं, जिसके कारण उनके बीच दूरियां बढ़ जाती हैं। टीनएज में बच्चों के अपने संघर्ष होते हैं, जिन्हें मां-बाप बांट तो नहीं सकते हैं, मगर उनसे इस बारे में बात करके उनकी चिंता और उलझन को कम कर सकते हैं। अक्सर इसी उम्र में बच्चे पढ़ाई, करियर, रिलेशनशिप, दोस्ती आदि को लेकर सीरियस होने शुरू होते हैं। मां-बाप अगर बच्चों के साथ हर रोज थोड़ा समय बिताएं और उन्हें सही गाइडेंस दें, तो बच्चे जल्द ही अपनी सभी परेशानियां मां-बाप से बताने लगेंगे।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
19.उनकी समस्याएं सुनें
टीनएज बच्चे अक्सर मां-बाप की बातों और फैसलों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं, इसलिए मां-बाप उनकी बातें सुनना बंद कर देते हैं या डांट-डपटकर चुप करा देते हैं। मगर बच्चों का भरोसा जीतने के लिए जरूरी है कि आप उनकी समस्याओं को सुनें और फिर आपको जो सही लगे उस फैसले को प्यार से समझाएं। अगर आप बच्चे को बोलने नहीं देंगे या डांटकर चुप करा देंगे, तो बच्चे आपके पीठ पीछे गलत काम करेंगे या झूठ बोलकर आपका भरोसा तोड़ेंगे। इसलिए बच्चों को फैंडली बनाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि आप हमेशा उनकी बातों पर ध्यान दें और लेक्चर देने के मूड में कम से कम आएं।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
20.बच्चों का विश्वास जीतें
जो मां-बाप अपने बच्चों का विश्वास नहीं जीत पाते हैं, उनके बच्चे अपनी ज्यादातर समस्याएं या तो दोस्तों को बताने लगते हैं या स्वयं ही उसका हल खोजने की कोशिश करने लगते हैं, जिसमें कई बार उनसे गलतियां हो जाती हैं। पेरेंट्स को अपने बच्चे के साथ ऐसा रिश्ता मेनटेन करना चाहिए, जिससे कि बच्चा उनसे कुछ भी बताते हुए डरे या झिझके नहीं। इससे बच्चे अपने दिल की गहराई में छिपी हुई बातें भी मां-बाप से कहने में घबराएंगे नहीं।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
21.इंटरनेट के इस्तेमाल पर रहे आपकी नजर
इंटरनेट बहुत बड़ा और खतरनाक भी है, इसलिए जब भी बच्चा इंटरनेट का इस्तेमाल करे तो आप उस पर कड़ी निगरानी बनाए रखें। इंटरनेट के इस्तेमाल के दौरान भले बच्चा वेबसाइट्स को सर्च करे, मोबाइल फोन में किसी एप्लीकेशन को डाउनलोड करे, चैट करे या फिर कोई वीडियो आदि देखें, लेकिन आप जिम्मेदारी से न चुके।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
22.बच्चे को बड़ों का सम्मान करना सिखाएं
हर मां-बाप अपने बच्चों की परवरिश में बच्चों को बड़ों की इज्जत और सम्मान करना सिखाते हैं। लेकिन, क्या कभी सोचा कि बच्चे को हम बड़ों की इज्जत करना सिखा दिए, पर क्या बड़ों ने बच्चे की इज्जत करनी सीखी? शायद नहीं। अक्सर हम भूल जाते हैं कि प्यार के बदले प्यार और इज्जत के बदले इज्जत मिलती है। इज्जत देना उम्र की नहीं बल्कि आपसी सामंज्य का मामला है। कभी-कभी बड़े बच्चे से दुर्व्यवहार करते हैं तो उनमें एक तरह की चिढ़ पैदा होती है। जिससे बच्चा नकारात्मक होता चला जाता है। फिर वह जब बड़ों की इज्जत करना छोड़ देता है तो हमें लगता है कि बच्चा बिगड़ रहा है, बच्चाें की परवरिश खराब है। जबकि उसकी वजह हम खुद होते हैं। पहले आप बच्चे का सम्मान करें फिर वह खुद ब खुद सम्मान करना सीख जाएगा। बच्चाें की परवरिश यह तरीका अभिभावकों को बदलने की जरुरत है।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
23.उन्हें सुनिए भी
कई घरों में बच्चों की सुनी नहीं जाती है। उन्हें सिर्फ आदेश दिया जाता है। बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए यह बेहद जरूरी है कि बच्चों की बात और उनके मन को अच्छी तरह समझा जाए। तसल्ली से उनकी बात सुनी ही नहीं जाए, बल्कि उनकी बात को महत्त्व भी दिया जाए।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
24.बच्चों के आदर्श बनें
अगर माता-पिता अपने बच्चों से अपेक्षाओं में तो आगे रहते हैं और खुद में कई तरह की कमियां रखते हैं तो इसका बच्चों पर विपरीत असर पड़ता है। पेरेंट्स अपने बच्चों के लिए आदर्श बनें। खासतौर पर वे बातें जिनकी उम्मीद वे अपने बच्चों से करते हैं, उसको खुद की जिंदगी में जरूर अपनाएं। वे आपको देखें और सीखें।
25.काम में साथ रखें
पेरेंट्स के लिए जरूरी है कि वे अपने बच्चों में जहां काम करने की आदत डालें, वहीं उनमें सामाजिक होने का गुण भी विकसित करें। घर के छोटे-मोटे काम की जिम्मेदारी उन पर डालें। ताकि वे सहयोग करना और फैसला लेना सीखें। इसी प्रकार उन्हें बाहर खेलने भेजें। दोस्तों और रिश्तेदारों में ले जाएं ताकि वह सामाजिक बने।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
26.बच्चों के सामने अभद्र भाषा का प्रयोग ना करें
बच्चे नाजुक मन के होते हैं। उनके सामने बड़े जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही वे सीखेंगे। सबसे पहले खुद अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें। सोच-समझकर शब्दों का चयन करें। आपस में एक दूसरे से 'आप' कहकर बात करें। धीरे-धीरे यह चीज़ बच्चे की बोलचाल में आ जाएगीबच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
27.ज्यादा टीवी और मोबाइल ना देखने दें
टीवी और मोबाइल बुरी आदत की तरह है जिस आदत को छोड़ने के लिए लोग हमेशा परेशान रहते हैं। बच्चे को ज्यादा टीवी और मोबाइल देखने ना दें, क्योंकि बच्चे टीवी प्रोग्राम में और मोबाइलइ मे खो जाते हैं कि वो घंटों तक टीवी के आगे ही बैठे रहते हैं और मोबाइल मे अपना समय करते है, जिससे उनका मानिसक विकास नहीं हो पाता है। टीवी की जगह बच्चों और दूसरे रचनात्मक कार्यों में लगाइए जिससे उनका बौद्धिक रूप से विकास हो सके।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
28.उन्हें अपना काम खुद करने दें
बच्चों में आत्मविश्वास और निर्णय लेने की आदत का विकास करना है तो इस बात का ध्यान दीजिए कि उन्हें अपना काम खुद करने दें। इसके अलावा घर के छोटे-मोटे कामों में बच्चे से मदद लें और उनके काम को प्रोत्साहित करें। इससे उनमें आत्मविश्वास पैदा होगा और चीजों को लेकर उनमें सही समझ आएगी।बच्चों की परवरिश करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें ।
""बच्चे वह नहीं सीखते जो आप कहते हैं, वे वही सीखते हैं जो आप करते हैं ""
Thanks
Please take good care of your family............