सैरा नृत्य | बुंदेलखंड
' सैरा नृत्य ' बुंदेलखंड का लोक नृत्य
आज इस लेख में हम सैरा नृत्य बुंदेलखंड का लोक नृत्य (Bundelkhand Ka Lok Nritya) की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे (Saira Nritya-Saira Dance) 'सैरा नृत्य' मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य में से एक है।यह नृत्य बुंदेलखंड के प्रसिद्ध एवं प्रमुख लोक नृत्य में से एक है।(Saira-Bundelkhand Ka Lok Nritya) सैरा-बुंदेलखंड का लोक नृत्य बहुत प्राचीन लोक नृत्य है। तो आइए 'सैरा नृत्य' की महत्वपूर्ण जानकारी पर एक नजर डालते हैं।
' सैरा नृत्य ' मध्य प्रदेश का प्रमुख लोक नृत्य
सैरा नृत्य , (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड का लोक नृत्य है।यह नृत्य (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड का एक प्राचीन एवं प्रसिद्ध लोक नृत्य है। सैरा नृत्य मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य या नृत्यों में से एक है। मध्य प्रदेश राज्य के बुंदेलखंड अंचल या क्षेत्र में सैरा नृत्य,वर्षा ऋतु के समय या श्रावण-भादो के समय में किया जाता है।बुंदेलखंड के प्राचीन सैरा नृत्य का प्रारंभ सैरा नमक प्राचीन एवं मधुर लोक गीतों के साथ किया जाता है।मध्य प्रदेश राज्य के (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड क्षेत्र में सैरा नृत्य सागर,टीकमगढ़,पन्ना,दतिया, दमोह,छतरपुर एवं उत्तर प्रदेश राज्य के हमीरपुर, झांसी, महोबा,ललितपुर आदि क्षेत्रों में अत्यधिक लोकप्रिय एवं प्रचलित है।प्राचीन सैरा गीत के नाम पर ही इस नृत्य का नाम पर ही सैरा नृत्य पड़ा।यह नृत्य पुरुष प्रधान नृत्य होता है।
- (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के प्राचीन सैरा नृत्य 'सैरा' नामक प्राचीन लोक गीत के साथ प्रारंभ किया जाता है।
- यह नृत्य (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित है
- यह पुरुष प्रधान नृत्य है।
- सैरा नृत्य (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड का लोक नृत्य है।
- यह नृत्य (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है।
- यह नृत्य (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड का एक प्राचीन लोक नृत्य है।
- इस नृत्य का नाम सैरा गीत के नाम पर ’सैरा नृत्य’ पड़ा।
- वर्षा ऋतु के समय सैरा नृत्य बहुत सुहावना लगता है।
- (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड में वर्षा ऋतु के समय या श्रावण-भादो में सैरा नृत्य किया जाता है।
- यह नृत्य एक प्रसिद्ध लोक नृत्य है जो प्रमुख रूप से उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में किया जाता है।
सैरा नृत्य का प्रदर्शन (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड मध्य प्रदेश में
(बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड में सैरा नृत्य की शुरुआत सैरा गीत के साथ की जाती है, सैरा लोक गीत गाने वाले समुह के प्रत्येक व्यक्ति अपने हाथों में लकड़ी के छोटे-छोटे डंडे एवं गमछा या तौलिया लेकर गोल घेरे में खड़े हो जाते है। और सैरा गीत गाते हुए दाएं एवं बाएं दिशा की ओर से बढ़ाने वाले डंडो पर अपने डंडो को बजाते है और समूह के प्रत्येक व्यक्ति एक साथ जमीन पर झुकते है,एक दूसरे को निहुरते और कभी एक साथ जमीन पर बैठकर आड़े-तिरछे होते हुए,एक साथ समान रूप में डंडो को बजाते रहते है।इस नृत्य में चाँचर नृत्य की झलक दिखाई देती है।इस इस नृत्य मैं सैरा गीतों में वीर रस के साथ बुंदेली राजाओं के गुणगान गाते है।
बुंदेलखंड के सैरा नृत्य का इतिहास
"सैरा नृत्य" (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड का एक प्रमुख, प्राचीन प्रसिद्ध एवं पारंपरिक लोकनृत्य है, जो भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य के (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड क्षेत्र से संबंधित है।यह नृत्य बुंदेलखंड अंचल या क्षेत्र में प्रसिद्ध है।सैरा नृत्य का इतिहास बुंदेलखंड क्षेत्र की धार्मिक सामाजिक सांस्कृतिक और लोक परंपरा से जुड़ा हुआ है,और यह नृत्य बुंदेलखंड क्षेत्र के लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। सैरा नृत्य का इतिहास इस लोकनृत्य के मूल और विकास के पीछे के कुछ निम्नलिखित प्रमुख महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाता है:
- सैरा नृत्य की परंपरा और मूल्य
- सैरा नृत्य का प्रदर्शन
- सैरा नृत्य की विशेषता
- सैरा नृत्य के रंग-रूप
- सैरा नृत्य के प्रमुख चरण
सैरा नृत्य की परंपरा और मूल
सैरा नृत्य की परंपरा और मूल (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, सैरा नृत्य की परंपरा मध्य प्रदेश राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र के स्थानीय लोगों के बीच परंपरागत रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती जा रही है।यह नृत्य मध्य प्रदेश के (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड अंचल या क्षेत्र के लोगों के समाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहाँ के लोगों के बीच प्राचीन काल से ही प्रदर्शित किया जा रहा है।
सैरा नृत्य का मूल (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के स्थानीय लोगों की परंपरागत कला और संस्कृति से जुड़ा हुआ है।"सैरा नृत्य" का मूल मध्य प्रदेश मध्य प्रदेश राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ा हुआ है। यह नृत्य बुंदेलखंड के स्थानीय लोगों की परंपरागत कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनके समाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
- इस नृत्य का मूल (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के लोगों की जीवनशैली, व्यक्तिगत और सामाजिक अवसरों का हिस्सा बन चुका है।
- इस नृत्य का मूल को (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है।
- इस नृत्य के मूल में धार्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं का महत्वपूर्ण स्थान है, और इसके माध्यम से लोग अपनी भक्ति, आध्यात्मिकता, और सामाजिक समानता की अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करते हैं।
- इस नृत्य का मूल लोगों के बीच सामाजिक समानता को बढ़ावा देता है ।
- सैरा नृत्य का मूल (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह बुंदेलखंड के समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाता है।
(बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड में सैरा नृत्य का प्रदर्शन
(बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड , मध्य प्रदेश में सैरा नृत्य का प्रदर्शन विभिन्न समारोह, उत्सवों एवं सामाजिक आयोजनों में किया जाता है। इस नृत्य के माध्यम से बुंदेलखंड क्षेत्र या अंचल के लोगों द्वारा (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सजीव रूप से रखा जाता है।यह नृत्य इस क्षेत्र के लोगों के सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
सैरा नृत्य की विशेषता
सैरा नृत्य की विशेषताएँ (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के स्थानीय लोकनृत्य के रूप में हैं और इसे एक अनूठा और प्रमुख आदिवासी नृत्य के रूप में माना जाता है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- इस नृत्य में धृति और विविधता पाई जाती है जैसे गति गतिविधि और मुद्राओं का बदलना।
- सैरा नृत्य के माध्यम से लोग अपनी भक्ति और आध्यात्मिकता की अभिव्यक्ति के महत्व को प्रदर्शित करते है।
- सैरा नृत्य बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और इस नृत्य के माध्यम से बुंदेलखंड की कला और संस्कृति का प्रचार होता है। इसके रंग-रूप,ध्वनी,प्रकार और चरण बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हैं जो इस नृत्य के सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।
- समाजिक समानता या समरसता का प्रतीक।
- यह नृत्य बुंदेलखंड के स्थानीय लोगों की परंपरागत कला और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है
(बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के सैरा नृत्य के रंग-रूप
(बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के सैरा नृत्य के रंग-रूप विविधतापूर्ण और रंगीन होते हैं, और इस नृत्य के प्रदर्शन में विभिन्न रंगों, वस्त्रों, और मुद्राओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।सैरा नृत्य में रंग-रूप नृत्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है,जो इस नृत्य को विशेष और आकर्षक नृत्य बनाता है।इस नृत्य का रंग-रूप बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाता है और दर्शकों को गहरी भावनाओं के साथ जोड़ता है।सैरा नृत्य के प्रमुख रंग-रूप निम्न अनुसार है:
- वस्त्र : सैरा नृत्य के प्रदर्शन में वस्त्रों का विशेष महत्व होता है। नृत्यार्थियों के पहनावे विविध और भव्य होते हैं। सामान्यत: नर्म, सूती या सिल्क के सारी और विभिन्न प्रकार के आभूषण पहने जाते हैं जो नृत्य को रंगीन बनाते हैं।
- नृत्य की मुद्राएँ : सैरा नृत्य में नृत्य की मुद्राओं की महत्वपूर्ण भूमिका होता है। मुद्राएँ हाथ के प्रतीक चिह्न होते हैं जो नृत्य की भावनाओं और कथा को संवाद करने के लिए किए जाते हैं। ये मुद्राएँ नृत्य को और भी अधिक सुंदर और भावनापूर्ण बना देती है।
- रंग : सैरा नृत्य के प्रदर्शन में विभिन्न रंगों का प्रयोग किया जाता है, जो नृत्य को और भी आकर्षक और रंगीन बना देते हैं।इस नृत्य में विभिन्न रंगों के वस्त्र, और आभूषणों का उपयोग किया जाता है जो नृत्य को आकर्षक और भावनाओं से परिपूर्ण बनाते हैं।
- ध्वनि या आवाज (गायन) : सैरा नृत्य के प्रदर्शन में ध्वनि (गायन) का महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ध्वनि के साथ नर्तक गीत गाकर और ध्वनि के साथ नृत्य करते है,
सैरा नृत्य के प्रमुख चरण
सैरा नृत्य (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड के प्रमुख लोकनृत्यों में से एक है।इस नृत्य प्रमुख चरण विभिन्न प्रकार के होते हैं जिनमें आवाज ध्वनि चाल और मुद्राओं का समावेश होता है।सैरा नृत्य के प्रमुख चरण निम्नलिखित है :-
- भूमिका (प्रारंभिक चरण) : सैरा नृत्य का प्रारंभिक चरण भूमिका चरण होता है, जिसमें नर्तक प्राकृतिक स्थिति में खड़े होते है और धीरे-धीरे नृत्य को प्रारंभ करते है।यह चरण आदिकालीन तरीके से नृत्य को शूरू करता है।
- गति चरण : इस चरण में नर्तक अपनी गति बढ़ाते है
- मुद्रा चरण : मुद्रा चरण में नर्तक अपने हाथों की गतियों को प्रदर्शित करते है और भावनाओं को संवाद के माध्यम से प्रकट करते है। सैरा नृत्य में आकर्षक और भावनापूर्ण मुद्राएँ उपयोग की जाती है, जो नृत्य को और भी आकर्षक और गहरा बनाती हैं।
- ध्वनि या आवाज (गायन) चरण : सैरा नृत्य के इस चरण में ध्वनि या आवाज (गायन) महत्वपूर्ण भूमिका होती है।नर्तक गीत गाकर और ध्वनि के साथ एक साथ नृत्य करते है।
- समापन चरण : सैरा नृत्य में समापन चरण के अंतर्गत नर्तक अपनी ध्वनि या आवाज (गायन) और नृत्य को धीरे-धीरे बंद करते हैं।
सैरा नृत्य के प्रमुख वाद्य यंत्र
सैरा नृत्य के प्रमुख वाद्य यंत्र निम्नलिखित है
ढोलक,
टिमकी,
मंजीरा,
मृदंग ,
बांसुरी,
ढोलक,
नगडि़या ,
झाॅझ,
सैरा नृत्य से संबंधित अक्षर पूछे जाने वाले प्रश्न Faqs
Q-1.बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रचलित सैरा नृत्य है -
A) स्त्री प्रधान
B) पुरुष प्रधान
C) समूह
D) इनमें से कोई नहीं
Correct Answer: B) पुरुष प्रधान
Q-2. सैरा नृत्य किस क्षेत्र का है?
ANS - बुंदेलखण्ड
Q-3. सैरा नृत्य कब किया जाता है?
ANS- वर्षा ऋतु के समय में या श्रावण-भादो के समय में
Q-4. सैरा नृत्य किस क्षेत्र का है?
ANS- मध्य प्रदेश राज्य के (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड क्षेत्र में सैरा नृत्य सागर,टीकमगढ़,पन्ना,दतिया,दमोह,छतरपुर एवं उत्तर प्रदेश राज्य के हमीरपुर, झांसी,महोबा,ललितपुर आदि क्षेत्रों में अत्यधिक लोकप्रिय एवं प्रचलित है।
Q-5. (Saira Nritya) सायरा नृत्य कब होता है?
ANS- वर्षा ऋतु के समय में या श्रावण-भादो के समय में
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमने मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य (Saira Nritya) 'सैरा नृत्य' जो की (बुंदेलखण्ड) बुंदेलखंड का लोक नृत्य (Bundelkhand Ka Lok Nritya ) है की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है। भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य में बुंदेलखंड अंचल या क्षेत्र में सैरा नृत्य (Saira Dance),वर्षा ऋतु के समय या श्रावण-भादो के समय में किया जाने वाला नृत्य है। यह नृत्य पुरुष प्रधान नृत्य है।सैरा नृत्य बुंदेलखंड की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।