बाघ की गुफाएँ
बाघ गुफाएं :- आज इस लेख में हम बाघ गुफाएं जो कि मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।बाघ की गुफाएं, भारत के मध्य प्रदेश राज्य के धार जिले में स्थित है।धार जिले में स्थित बाघ की गुफाओं की संख्या 9 है।बाघ की गुफाएँ, धार जिले से 97 किलोमीटर की दूरी पर विंध्याचल पर्वत के दक्षिणी ढलान पर स्थित है।बाघ गुफाएं इंदौर और वडोदरा के बीच में नर्मदा नदी की सहायक नदी बाघिनी नदी (बाघ नदी) के बाएं तट पर स्थित है।बाघ (गुफा) गुफाओं की चित्रकला बहुत प्राचीन चित्रकला या चित्रकारी है।बाघ गुफाओं की खोज डेन्जर फील्ड ने की थी।
बाघ की गुफाएँ
बाघ की गुफाएं, मध्य प्रदेश के धार जिले में है।बाघ की गुफाओं की संख्या 9 है,बाघ की कुल 9 गुफाएं है,जिनमें से गुफा क्रमांक 1,7,8 और 9 बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी है,और वर्तमान में गुफा क्रमांक 2 , 3 ,4 , 5 , 6 संरक्षित है।बाघ की गुफा क्रमांक-2 और गुफा क्रमांक-4 में सर्वाधिक चित्र मिले हैं। वर्तमान में बाघ गुफाओं में 7 गुफाओं के चित्र लगभग पूर्ण रूप से नष्ट हो चुके हैं,केवल गुफा क्रमांक - 4 और गुफा क्रमांक -5 में कुछ चित्र बने हैं वे भी अब छत-विक्षत अवस्था में है, गुफा क्रमांक - 4 रंग महल के नाम से जानी जाती हैं जिनमें सर्वाधिक चित्र बने हैं।बाघ गुफाओं का प्राचीन नाम कल्याण विहार है।बाघ की गुफाओं की विशेषताएं है कि इन गुफाओं का संबंध बौद्ध धर्म से है।इन गुफा में अनेक बौद्ध मंदिर एवं मठ देखे जा सकते हैं। गुफाओं के अंदर चैतन्य हॉल है जिसमें एक स्तूप स्थित है और रहने के लिए कोठरी भी बनी हुई है,जहां बौद्ध भिक्षु रहा करते थे।
बाघ गुफाओं का निर्माण चौथी और पांचवी शताब्दी में किया गया था।बाघ की गुफाओं का इतिहास यह दर्शाता है कि बाघ गुफाएं चौथी और पांचवी शताब्दी के गुप्त काल की हैं।इन गुफाओं की खोज का श्रय डेन्जर फील्ड को जाता है। वर्ष 1818 में लेफ्टीनेन्ट डेन्जर फील्ड ने सबसे पहले बाघ की गुफाओं की खोज का विवरण ‘‘साहित्यिक विनिमय संघ’’ की एक पत्रिका के द्वितीय अंक में प्रकाशित करवाया था।जिससे यह स्पष्ट होता है की बाघ गुफाओं की खोज 1818 में डेन्जर फील्ड ने की थी।बाघ की गुफाएं भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है इन गुफाओं के भित्ति चित्र अजंता की गुफाओं के समकालीन है। बाघ गुफा में सबसे महत्वपूर्ण चित्र-चित्रण भित्तिचित्रों में फूल,पक्षी एवं पशुओं का, बुद्ध ,बोघिसत्व चित्रों के अतिरिक्त राजदरबार,संगीत दृश्य,पुष्पमाला दृश्य आदि का चित्रण महत्वपूर्ण है।
बाघ चित्रकला के मुख्य लक्षण है कि यहां की चित्रकला में धार्मिक विषय के साथ-साथ मानवोचित भावों के चित्रण में वेग पूर्ण प्रवाह था।बाघ की गुफा क्रमांक-2 और गुफा क्रमांक-4 में सर्वाधिक चित्र मिले हैं। वर्तमान मेंबाघ गुफाओं में 7 गुफाओं के चित्र लगभग पूर्ण रूप से नष्ट हो चुके हैं,केवल गुफा क्रमांक - 4 और गुफा क्रमांक -5 में कुछ चित्र बने हैं वे भी अब छत-विक्षत अवस्था में है, गुफा क्रमांक - 4 रंग महल के नाम से जानी जाती हैं जिनमें सर्वाधिक चित्र बने हैं।चित्रण में आकृतियां भंगीमाए, अलंकार जिनमें कमल की बेल,पुष्प एवं पशु पक्षियों, छोटे-बड़े फल आदि चित्रित है।यहां की चित्रकला की शैली अजंता की शैली के समान है या समकालीन है। अजंता और एलोरा गुफाओं के समान ही बाघ गुफाएं बनी हुई है। 1953 में भारत सरकार ने बाघ गुफाओं को राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित है। चीनी यात्री फाह्यान ने बाघ की गुफाओं के भित्ति चित्रों को देखा था।
बाघ गुफाओं का इतिहास
बाघ की गुफाओं का इतिहास यह बताता है कि ये 9 गुफाएं चौथी और छठी शताब्दी के गुप्त काल की है। गुप्त काल में ही इन गुफाओं का निर्माण किया गया था।इन गुफाओं का निर्माण शिलाओ या चट्टानों को काटकर किया गया था।इन गुफाओं का संबंध बौद्ध धर्म से है।गुफाओं में अनेक बौद्ध मंदिर एवं मठ स्थित है,बाघ की गुफाओं में चैतन्य हॉल स्तूप स्थित है और रहने के लिए कोठरी का निर्माण भी किया गया है,जहां बौद्ध भिक्षु रहते थे।पूर्व में इस स्थान का नाम कल्याण विहार था।इसका प्रमाण हमें महिष्मति के महाराजा सुबंधु द्वारा अभिलेखित 416-17 ई. के एक ताम्रपात्र से प्राप्त जानकारी से हुआ है,कि इस बौद्ध विहार को दिए गए अनुदान का उल्लेख किया गया है।इस अभिलेख में इस विहार को कल्याण विहार कहां गया था।बाघ की गुफाएं गुप्त काल के श्रेष्ठतम उदाहरणों में से एक है।यह गुफाएं बौद्ध भिक्षुओं के निवास हेतु एवं बुद्ध उपदेशों के प्रवचन श्रवण के उद्देश्य से ही बनाई गई थी। ऐसा माना जाता है कि 10वीं शताब्दी में बौद्ध धर्म के पतन के बाद बाघ की गुफाएं खाली हो गई थी और इन गुफाओं में बाघ निवास करने लगे थे इसलिए इन गुफाओं को बाघ की गुफाएँ, के नाम से जाना जाता है।
बाघ गुफाओं की चित्रकला
बाघ गुफा-गुफाओं की चित्रकला मनुष्य को आश्चर्य में डाल देती है।इन गुफाओं या विहारो में नैतिक उन्नति एवं निर्देशन के उद्देश्य की पूर्ति करने वाले भित्ति चित्र पर्याप्त समय से सुसज्जित करते रहे है।इन गुफाओं में चित्र अलंकार का वर्णन मूल सरवास्तिवादिन संप्रदाय के विनय में पाया जाता है।बाघ की गुफाओं में चित्रकला की दो तरह की शैलियां देखने को मिलती है। जिनमें एक शैली में काले,सफेद एवं लाल रंग से चित्र बनाए गए है। दूसरी शैली में कई रंगों के द्वारा चित्र बनाए गए हैं।इन गुफाओं में भित्तिचित्रों में मनोरम लताएं,बगीचे एवं पशु पक्षियों का चित्रण किया गया है।इन गुफाओं में बौद्ध धर्म के अतिरिक्त सामान्य जीवन के चित्र भी सर्वाधिक मात्रा में मिलते है।बाघ की चित्रकलाएं अजंता की गुफा संख्या 1 एवं 2 की चित्रकला के समकालीन या सादृश्य है,अर्थात यह भित्ति चित्र अलंकृत एवं आभूषण युक्त चित्र है।
बाघ की गुफाओं की विशेषता
मध्य प्रदेश राज्य में स्थित बाघ की गुफाओं की विशेषताएं निम्नलिखित है।
- जीवन के विभिन्न पक्षों का चित्रण: इन गुफाओं में केवल बौद्ध धर्म का ही चित्रण नहीं किया गया है अपितु नृत्य गान,अश्वारोहण,गजारोहण,स्त्रियों की विभिन्न अवस्थाओं जैसे प्रेम, विरह आदि का महत्वपूर्ण चित्रण किया गया है।
- प्रकृति का चित्रण: बाघ गुफा में प्रकृति का चित्रण बड़ा ही अद्भुत एवं उल्लेखनीय रूप से किया गया है लतो बन्धों, लताओं का झुकाव सुंदर ढंग से किया गया और साथ ही पक्षियों के विभिन्न रूपों को अत्यंत रोचक ढंग से चित्रित किया गया है
- चट्टानों एवं शिलाओं को काट कर 9 बाघ गुफाएं विंध्याचल पर्वत में बनाई गई है जो गुप्तकालीन शास्त्रीय एवं चित्रकला के अनुपम उदाहरण हैं
- इन गुफाओं में सातवाहनों के द्वारा चैत्य का निर्माण किया गया।
- बाघ की गुफाएं भित्ति चित्रों के लिए प्रसिद्ध है।
- बाघ गुफाओं के भित्ति चित्रों से तत्कालीन वेशभूषा केशसज्जा एवं अलंकार आदि का ज्ञान प्राप्त होता है।
- बाघ के भित्ति चित्रों में सबसे प्रसिद्ध संगीत और नृत्य के दृश्य है।
- इन गुफाओं के भित्ति चित्र अलंकृत एवं आभूषण युक्त चित्र है।
- इन गुफाओं के चित्रों में लौकिक और धार्मिक जीवन से संबंधित प्रसंगों का चित्रण किया गया है।
- प्रकृति का चित्रण, पशु-पक्षियों का चित्रण, जन-जीवन के विभिन्न पहलुओं का दृश्यांकन, नारी सौन्दर्य का चित्रण इत्यादि।
बाघ चित्रकला के मुख्य लक्षण
बाघ चित्रकला के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं चित्रकला में दो प्रकार की शैलियों का प्रयोग किया गया है।पहली शैली में काले,सफेद एवं लाल रंग का प्रयोग करके चित्र बनाए गए हैं और दूसरी शैली में कई रंगों का प्रयोग करके चित्र बनाए गए है।यह भित्ति चित्र अलंकृत एवं आभूषण युक्त चित्र है। बाघ के भित्तिचित्रों से तत्कालीन वेशभूषा केशसज्जा एवं अलंकार और आभूषण आदि का ज्ञान मिलता है। इन गुफाओं के भित्ति चित्रों में संगीत और नृत्य का दृश्य का चित्रण किया गया है।इन गुफाओं में बुद्ध, बोघिसत्व चित्रों के अतिरिक्त राजदरबार,संगीत दृश्य, पुष्पमाला दृश्य आदि का चित्रण महत्वपूर्ण है।इन भित्ति चित्रों में नैतिक उन्नति एवं निर्देशन के उद्देश्यों की पूर्ति के लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देते है।इन चित्रों में सरवास्तिवादिन संप्रदाय के लक्षण दिखाई देते है।बाघ चित्रकला में धार्मिक,मानवोचित भावों, प्राकृतिक सौंदर्य आदि के लक्षण दिखाई देते है।
बाघ की पांचवी गुफा का नाम क्या है
बाघ की पांचवी गुफा का नाम पाठशाला है। यह गुफा शास्त्र, धर्मशास्त्र आदि में छात्रों एवं भिक्षुओं को शिक्षित करने के लिए एक शैक्षणिक संस्था थी।यह पाठशाला ज्यादातर धार्मिक आदेशों द्वारा चलाए जाते हैं।
बाघ की गुफाओं की संरचना
बाघ गुफाएं या बाघ गुफा कुल 9 गुफाओं से मिलकर बनी है।ये गुफाएं विंध्याचल पर्वत के दक्षिणी ढलान पर स्थित है।इनकी संख्या कुल 9 है। ये गुफाएं बौद्ध धर्म से संबंधित है बाघ की कुल 9 गुफाओं का विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करेंगे।
बाघ गुफा क्रमांक 1
बाघ की पहली गुफा का नाम "ग्रह गुफा" है।इस गुफा का निर्माण बौद्ध भिक्षुओं के रहने के लिए किया गया था।इस गुफा में कोई भी भित्ति चित्र एवं मूर्ति नहीं है।
बाघ गुफा क्रमांक 2
बाघ की दूसरी गुफा का नाम "पांडव गुफा" है गुफा क्रमांक 2 का सबसे प्रसिद्ध चित्र पद्मपाणि बुद्ध का हे, मुख की आकृति सोम्य हैं और पुष्प एवं आभूषणों से शरीर के भागों को सजाया गया है।इस गुफा को "गुसाईं गुफा" के नाम से भी जाना जाता है।
बाघ गुफा क्रमांक 3
बाघ की तीसरी गुफा का नाम "हाथीखाना" है। इस गुफा के बीच में स्थित कक्ष प्राचीन समय में बुद्ध और बोधिसत्व के चित्रों से परिपूर्ण था इस गुफा के छोटे-छोटे कक्षा में भगवान बुद्ध की आकृतियां बनी हुई थी।
बाघ गुफा क्रमांक 4
बाघ की चौथी गुफा का नाम 'रंग महल' है।इस गुफा में दृश्य क्रमांक 2 संगीत दृश्य है,इस दृश्य में सुंदर अल्प वस्त्र धारण किए नर्तकियों को घेरा बनाकर नृत्य करते हुए चित्रित किया गया है,और नर्तकियां विभिन्न वाद्य यंत्र लिए नृत्य कर रही हैं,और इस दृश्य में चित्रित राजकुमार का चल समारोह दृश्य बहुत सुंदर और मनमोहक है,इस गुफा का आकार चैत्याकार है। गुफा क्रमांक 4 में कुल 8 महत्वपूर्ण दृश्यों के अतिरिक्त अन्य दृश्य भी है।
- पहला दृश्य वियोग का है।
- दूसरा दृश्य मंत्रणा या शास्त्रार्थ का है।
- तृतीय दृश्य देव पुरुषों को आकाश में विचरण करते हुए का है।
- चौथा दृश्य 5 गायिकाओं का है।
- पांचवा दृश्य नृत्यांगना एवं वादिकाओं का है।
- छटा दृश्य अश्वरोहण का है।
- सातवा दृश्य गजारोहण का है ।
- आठवां दृश्य में 4 हाथी और 3 घोड़े हैं जो विश्राम कर रहे है।
बाघ गुफा क्रमांक 5
बाघ की पांचवी गुफा का नाम "पाठशाला" है।इस पाठशाला में तत्कालीन भिक्षुओं को शास्त्र,धर्म शास्त्र, नैतिकता आदि की शिक्षा दी जाती थी और यह पाठशाला धार्मिक आदेशों द्वारा ही संचालित की जाती थी।
बाघ गुफा क्रमांक 6
बाघ की छठी गुफा गुफा क्रमांक 5 से जुड़ी हुई है।
बाघ गुफा क्रमांक 7,8,9
बाघ गुफाएं क्रमांक 7 8 और 9 वर्तमान में बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
निष्कर्ष
आज इस लेख में हमनें भारत देश के मध्य प्रदेश राज्य में स्थित बाघ की गुफाएं से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है।बाघ गुफाएं मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित है। बाघ की गुफाओं की कुल संख्या 9 है।बाघ की गुफाएँ गुप्त काल की है।